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________________ 274 (i) अचित समुदायजनित विनसा उत्पाद : बादल, बिजली आदि अचितस्कन्धों का जो उत्पाद है, वह अचित समुदायजनित विस्रसा उत्पाद है। ये उत्पाद बिना किसी प्रयत्न से स्वतः होने से विस्रसा उत्पाद कहलाता है। (ii) सचित समुदायजनित विससा उत्पाद : शरीर की रचना सचित समुदायजनित विस्रसा उत्पाद है। जीवकृत रचना होने से तथा अप्रयत्नजन्य होने से यह उत्पाद सचित समुदाय जनित विस्रसा उत्पाद कहलाता है। (ii) मिश्र समुदायजनित विनसा उत्पाद : शरीर के वर्णादि की उत्पत्ति मिश्र समुदायजनित विनसा उत्पाद है। जीव सम्बन्धी नामकर्म का उदय एवं शरीर सम्बन्धी पुद्गलों का पारिणामिक स्वभाव इन दो उभय कारणों से जनित होने से वर्णादि का उत्पाद मिश्र समुदायजनित विस्रसा उत्पाद कहलाता है। 2. ऐकत्विक विनसा उत्पाद - जो उत्पाद दो द्रव्यों के विभाग से होता है, वह ऐकत्विक समुदायजनित विस्रसा उत्पाद कहलाता है। बिना किसी संयोग से अर्थात् स्वतन्त्र द्रव्य में होने वाला उत्पाद ऐकत्विक विनसा उत्पाद है। इसे यशोविजयजी ने उदाहरणों से समझाया है।18 पुद्गलास्तिकाय द्रव्य के द्विप्रदेशी, त्रिप्रदेशी, चतुष्प्रदेशी स्कन्धों का विघटन होने से एकैक प्रदेश अलग-अलग होकर परमाणुस्वरूप बन जाते हैं। यह ऐकत्विक 718 संयोग विना एकत्वनो, ते द्रव्य विभागइ सिद्ध रे जिम खंध विभागइ अणु पणु, वली कर्म विभागइ सिद्ध रे .............. द्रव्यगुणपर्यायनोरास, गा. 9/21 Jain Education International For Personal & Private Use Only www.jainelibrary.org
SR No.003974
Book TitleDravya Gun Paryay no Ras Ek Darshanik Adhyayan
Original Sutra AuthorN/A
AuthorPriyasnehanjanashreeji
PublisherPriyasnehanjanashreeji
Publication Year2012
Total Pages551
LanguageHindi
ClassificationBook_Devnagari
File Size9 MB
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