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________________ 259 एकान्तवादी दर्शनकारों ने एकान्त पर्यायदृष्टि के आधार पर कुछ पदार्थों को मात्र व्यतिरेकी और एकान्त द्रव्यदृष्टि के आधार पर कुछ पदार्थों को मात्र अन्वयी ही स्वीकार किया है। जैसे- नैयायिक एवं वैशेषिक दर्शन ने घटपटादि स्थूल पदार्थों को व्यतिरेकी या उत्पाद-व्यय स्वरूपवाला या अनित्य माना है तथा पृथ्वी, जल, अग्नि और वायु के परमाणुओं को और आकाश को अन्वयी या ध्रौव्यस्वरूपवाला या नित्य ही प्रतिपादन किया है। पर्यायदृष्टि के आधार पर बौद्ध दार्शनिक समस्त पदार्थों को व्यतिरेकी दृष्टि के आधार पर अनित्य मानते हैं और द्रव्यदृष्टिवाले वैदान्तिक पदार्थ मात्र के अन्वयी स्वरूप को ही स्वीकार कर उसे नित्य मानते हैं, क्योंकि एकान्तदृष्टि से वस्तुस्वरूप का एक पहलु ही दिखाई देता है दूसरा पक्ष अनदेखा ही रह जाता है। प्रत्यक्ष आदि प्रमाण से पदार्थ की विलक्षणता को सिद्ध करते हुए यशोविजयजी कहते हैं- पदार्थों की सत्ता का प्रत्यक्षदर्शन ही पदार्थ को त्रिलक्षणात्मक सिद्ध करते हैं।683 जहाँ-जहाँ सत्ता का दर्शन होता है, वहाँ-वहाँ उत्पादादि लक्षण अवश्य होते हैं तथा जहाँ-जहाँ उत्पाद आदि लक्षण होते हैं, वहाँ-वहाँ सत्ता अवश्य होती है। तत्त्वार्थसूत्रकार का भी यही कथन है कि उत्पाद, व्यय, ध्रौव्य इन तीन लक्षणों से युक्त पदार्थ ही सत् कहलाता है।684 पदार्थ सत्ता के समवाय से सत् नहीं है जैसा कि नैयायिक मानते हैं। परन्तु स्वयं पदार्थ त्रिलक्षण से युक्त होने से सत् है। अन्यथा स्वयं असत् पदार्थ सत्ता के योग से सत् बनते हों तो शशशृंगादि असत् पदार्थ भी सत्ता के समवाय से सत् बनने चाहिए। परन्तु ऐसा होता हुआ अनुभव गोचर नहीं होता हैं। अतः त्रिलक्षणयुक्तता ही सत् का वास्तविक लक्षण है। इस प्रकार प्रत्यक्ष प्रमाण से सिद्ध त्रिलक्षण को अनुभव आदि प्रमाण से सिद्ध 683 सत्ता प्रत्यक्ष तेह ज त्रिलक्षण साक्षी छइ ....................... द्रव्यगुणपर्यायनोरास का टब्बा, गा. 9/9 684 उत्पादव्ययध्रौव्ययुक्तं सत् ... .................. तत्त्वार्थसूत्र, 5/29 Jain Education International For Personal & Private Use Only www.jainelibrary.org
SR No.003974
Book TitleDravya Gun Paryay no Ras Ek Darshanik Adhyayan
Original Sutra AuthorN/A
AuthorPriyasnehanjanashreeji
PublisherPriyasnehanjanashreeji
Publication Year2012
Total Pages551
LanguageHindi
ClassificationBook_Devnagari
File Size9 MB
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