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________________ 251 भिन्न-भिन्न वासनाएं, तीन भिन्न-भिन्न व्यक्तियों में उत्पन्न होती है, तो इष्टताबुद्धि वासनावाले व्यक्ति को गन्ने आदि की तरह घास, कादव आदि सर्वत्र इष्टता बुद्धि ही होनी चाहिए। अनिष्टताबुद्धि वासना वाले व्यक्ति को गन्ने आदि सभी पदार्थों में सर्वत्र अनिष्टता बुद्धि और माध्यस्थबुद्धि वासना वाले व्यक्ति को सर्वत्र माध्यस्थ बुद्धि ही होनी चाहिए। परन्तु संसार में ऐसा होता नहीं है। इसलिए विभिन्न वासनाओं की उत्पत्ति में सामने स्थित बाह्यवस्तु और उसकी उत्पाद-व्यय-ध्रौव्य रूप भिन्न-भिन्न शक्तियाँ अवश्य निमित्त बनती हैं। गन्ना आदि द्रव्यों में मनुष्य की अपेक्षा से इष्टबुद्धि रूप वासना में निमित्तता - रूप पर्याय है और उन्हीं गन्ना आदि द्रव्यों में ऊंट की अपेक्षा से अनिष्टताबुद्धि रूप वासना में निमित्तता - रूप पर्याय भी है। इस प्रकार बाह्यवस्तु में शोकादि के कारणभूत वासनाओं के भेद में भिन्न-भिन्न निमित्त रूप अनंत पर्यायें हैं। पदार्थों में भिन्न-भिन्न शक्तिस्वरूप निमित्त भेद को माने बिना इष्टताबुद्धि, अनिष्टताबुद्धि और तदुभयभिन्नबुद्धि इत्यादि वासनाओं का जन्म ही नहीं हो सकता है। अतः प्रमाता के भेद से एक ही बाह्य वस्तु (द्रव्य) में इष्टताज्ञान जननशक्तिरूप, अनिष्टताज्ञानजनन शक्तिरूप और माध्यस्थताजननशक्तिरूप भिन्न-भिन्न पर्यायें हैं और वे पर्यायें ही उत्पाद, व्यय और ध्रौव्यरूप हैं।688 इस प्रकार बाह्यवस्तु की उत्पाद आदि भिन्न-भिन्न निमित्त भूत पर्यायों से ही प्रमाता में इष्टताबुद्धि आदि वासनाओं का जन्म होता है और इन भिन्न वासनाओं से ही शोकादि भिन्न-भिन्न कार्यों की उत्पत्ति होती है। इसलिए बौद्धदर्शन के मन्तव्य के अनुसार द्रव्य उत्पाद-व्यय रूप क्षणिक नहीं होता, अपितु उत्पाद-व्यय-ध्रौव्य रूप त्रयात्मक है। यदि मन की वासना मात्र से ही ज्ञान उत्पन्न हो जाता है, तो किसी को घट में पट का, जल में अग्नि का, घट में सरोवर का ज्ञान होने लग जायेगा। एक ही वस्तु में किसी को घट का तो किसी को पट का ज्ञान होने लग जायेगा। परन्तु यह 668 एक वस्तुनी प्रमातृभेदई इष्टानिष्टता छ ................... वही, Jain Education International For Personal & Private Use Only www.jainelibrary.org
SR No.003974
Book TitleDravya Gun Paryay no Ras Ek Darshanik Adhyayan
Original Sutra AuthorN/A
AuthorPriyasnehanjanashreeji
PublisherPriyasnehanjanashreeji
Publication Year2012
Total Pages551
LanguageHindi
ClassificationBook_Devnagari
File Size9 MB
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