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________________ 240 उपाध्याय यशोविजयजी की दृष्टि में द्रव्य का स्वरूप : जैनदर्शन के अनुसार जो सत् है वही द्रव्य है और जो द्रव्य है वही सत् है। पुनः सत् को उत्पाद-व्यय-ध्रौव्य इन तीन लक्षणों से युक्त माना है। उपाध्याय यशोविजयजी ने भी पूर्व जैन दार्शनिकों का अनुसरण करके द्रव्य को उत्पाद–व्यय-ध्रौव्य के रूप में त्रिलक्षणात्मक ही माना है तथा गुण और पर्याय के भाजन के रूप में भी परिभाषित किया है। वस्तुतः द्रव्य के इन दोनों परिभाषाओं में पारमार्थिक दृष्टि से कोई अन्तर नहीं है। द्रव्य में दो पक्ष हैं, गुण और पर्याय । गुण सदा ध्रुव रहते हैं। गुणों की इस ध्रुवशीलता के कारण द्रव्य की ध्रौव्यता बनी रहती है। पर्यायों की परिणमनशीलता के कारण द्रव्य में अवस्थाओं का उत्पाद और व्यय चलता रहता है। द्रव्य, गुण और पर्यायवाला होने से ही उत्पाद् व्यय-ध्रौव्यात्मक स्वरूप वाला है। उपाध्याय यशोविजयजी ने अपनी कृति 'द्रव्यगुणपर्यायनोरास' में द्रव्य को परिभाषित करते हुए यही कहा है कि - जो गुण एवं पर्याय का भाजन है तथा तीनों काल में एकरूप रहता है, वह द्रव्य है अर्थात् गुण और पर्यायों का स्थान या आधारद्रव्य है जो भूत, भावी और वर्तमान तीनों काल में एक सा रहता है।645 जैसे जीवद्रव्य ज्ञानादि गुणों का तथा देवादि पर्यायों का आधारभूत है। जीवद्रव्य के मनुष्यत्व, देवत्व आदि अवस्थाओं अर्थात् पर्यायों के बदलने पर भी जीवत्व तीनों काल में नहीं बदलता है। जीवद्रव्य जीवत्व से च्युत होकर कभी जड़ नहीं बनता है। द्रव्य प्रतिसमय नवीन-नवीन अवस्थाओं को प्राप्त होने पर भी अपने मूलभूत स्वरूप (जीवत्व, पुद्गलत्व आदि) का त्याग नहीं करता है। अपने असली स्वरूप को बनाये रखता है। द्रव्य में निहित गुण ही द्रव्य का स्वरूप हानि नहीं होने देते हैं। गुण, द्रव्य के असली स्वरूप अर्थात् ध्रौव्यपक्ष को बनाये रखते हैं। क्योंकि द्रव्य के मूल गुणों का 645 गुणपर्यायतणु जे भाजन, एकरूप त्रिहुं कालिं रे .................... द्रव्यगुणपर्यायनोरास, गा. 2/1 Jain Education International For Personal & Private Use Only For Personal & Private Use Only www.jainelibrary.org
SR No.003974
Book TitleDravya Gun Paryay no Ras Ek Darshanik Adhyayan
Original Sutra AuthorN/A
AuthorPriyasnehanjanashreeji
PublisherPriyasnehanjanashreeji
Publication Year2012
Total Pages551
LanguageHindi
ClassificationBook_Devnagari
File Size9 MB
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