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________________ उपलक्षण मात्र हैं अर्थात् 10 भेद तो दिग्दर्शन मात्र हैं, अन्य अनेक भेदों को अध्याहार से समझ लेना है। इस प्रकार द्रव्यार्थिक और पर्यायार्थिक नय के 10-6 भेद करने पर भी नयों का पूर्ण विवेचन उनमें समाविष्ट नहीं हो पाया है। यदि अध्याहर से अन्य भेदों को नहीं लेना है तो प्रश्न उठता है कि 'प्रदेशार्थकनय' इन 10 भेदों में से कौन से भेद में अन्तरनिहित होगा ? 539 जिस प्रकार द्रव्य को मुख्यता प्रदान करके विवक्षा करने वाला द्रव्यार्थिक नय होता है, उसी प्रकार प्रदेश को प्रधानता से विवक्षा करने वाला प्रदेशार्थकनय होता है । नैगम नय द्रव्यार्थिकनय का ही उत्तरभेदरूप है और प्रदेश द्रव्य का ही अविभाज्य अंश होने से शास्त्रों में प्रदेश को द्रव्यार्थिकनय नैगमनय } का विषय माना गया है। अनुयोगद्वारसूत्र *" में "दव्वट्टयाए, पसट्टयाए, दव्वट्ठ - पसट्टयाए" ऐसा कहा गया है। 209 इस कारण से यदि प्रदेशार्थकनय को द्रव्यार्थिकनय में समाविष्ट नहीं करते हैं तो उत्सूत्र प्ररूपण हो जाएगा। इस दृष्टि से देखा जाय तो देवसेनकृत द्रव्यार्थिकनय के 10 भेदों में से किसी भी भेद में प्रदेशार्थकनय समाविष्ट नहीं होता है। प्रदेशार्थकनय का तो एक उदाहरण दिया है, परन्तु ऐसे कई उदाहरण हो सकते हैं, जो द्रव्यार्थिक नय के विषय हों। क्योंकि देवसेन ने एक-एक उदाहरण को समक्ष रखकर भिन्न-भिन्न भेदों की कल्पना की है। इसका तात्पर्य यह है कि जितने उदाहरण उतने ही नय हो सकते हैं तो फिर देवसेन ने जो द्रव्यार्थिक और पर्यायार्थिक नय के क्रमशः दस और छह भेद ही क्यों किये ? अतः देवसेनकृत नयभेद अपूर्ण है। देवसेन के वर्गीकरण में एक अन्य दोष यह आता है कि कर्मोपाधि सहित जीव के स्वरूप को समझाने के लिए अर्थात् क्रोधी, मानी इत्यादि जीव के स्वरूप को लक्ष में रखकर कर्मोपाधिसापेक्ष द्रव्यार्थिक नय ऐसा भेद किया है तो शरीर, घट, पट आदि पुद्गल के स्वरूप को समझाने के लिए 'जीव संयोग सापेक्ष' द्रव्यार्थिक नय 539 दशभेदादिक पणि इहां रे उपलक्षण करी जाणी 540 अनुयोगद्वारसूत्र, सूत्र - 114 Jain Education International For Personal & Private Use Only द्रव्यगुणपर्यायनोरास, गा. 8 / 18 www.jainelibrary.org
SR No.003974
Book TitleDravya Gun Paryay no Ras Ek Darshanik Adhyayan
Original Sutra AuthorN/A
AuthorPriyasnehanjanashreeji
PublisherPriyasnehanjanashreeji
Publication Year2012
Total Pages551
LanguageHindi
ClassificationBook_Devnagari
File Size9 MB
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