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और शरीर में लोहग्नि की तरह तादात्म्य सम्बन्ध है। यह सम्बन्ध यावज्जीव तक रहता है। आत्मा और देह का सम्बन्ध धन के समान कल्पित सम्बन्ध नहीं है। इसलिए यह सम्बन्ध अनुपचरित है। फिर भी आत्मा और शरीर दोनों ही भिन्न-भिन्न द्रव्य हैं और इसलिए असद्भूत हैं। 'आत्मा का शरीर' ऐसा भेदरूप कथन करने से व्यवहार नय है।
अध्यात्मनय
निश्चयनय
व्यवहारनय
शुद्ध
अशुद्ध
सद्भुत
असद्भूत
उपचरित
अनुपचरित
उपचरित
अनुपचरित
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