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________________ 150 इस प्रकार भूतनैगमनय भूतकालीन घटनाओं में वर्तमान का आरोप करने के लिए तत्पर है। 2. भाविनैगमनय - ___ भावि पर्याय में भूतकालीन पर्याय के समान व्यवहार करना भाविनैगमनय है। जैसे वर्तमान में रहे हुए अरिहंत परमात्मा को सिद्ध कहना।20 इस नय में भविष्य में संपन्न होने वाली क्रिया को आज की मानकर व्यवहार किया जाता है। जैसे जो प्रस्थ बना ही नहीं है, लकड़ी में प्रस्थ का व्यवहार करते हुए 'मैं प्रस्थ लेने जा रहा हूँ' ऐसा कहना भावी नैगमनय का विषय है। अतः अनिष्पन्न को निष्पन्न की तरह मानना भी नैगमनय है।21 अध्यात्म कल्पद्रुम में जिस मुनि का मन विषय कषायों से विरक्त हो गया है, वह मुनि भवसागर से तिर गया है, ऐसा जो उल्लेख किया है वह भाविनैगमनय का ही विषय है।322 'द्रव्यगुणपर्यायनोरास' में भावि घटना को भूतकालीन घटना की तरह कथन करनेवाले नय को भावि नैगम नय कहा है। जैसे कि भविष्य में सिद्ध होने वाले केवली को अर्थात् भवस्थ केवली को सिद्ध कहना। 23 वर्तमान में जिन्होंने घातिकर्मों को ही क्षय किया है, परन्तु इसी भव में अघातिकर्मचतुष्क को भी क्षय करके सिद्धावस्था को प्राप्त करेंगे, ऐसे भवस्थकेवली को सिद्ध कहना भावि नैगमनय का विषय है। क्योंकि जो चरम हैं, वे अर्हन् है और जो अर्हन् है वे सिद्ध ही हैं। 320 अ) भाविनि भूतवत् कथनं यत्र स ..... आलापपद्धति, सू. 66 ब) भूतवन्नैगमो भावि जिनःसिद्धो यथोच्यते ........................ द्रव्यानुयोगतर्कणा, श्लो. 6/10 321 णिप्पणमिव पयंपदि भाविपदत्थं नयचक्र, गा. 205 32 ते तीर्णा भववारिधिं मुनिवरास्तेभ्यो नमस्कुर्महे, येषां नो विषयेषु गृथ्यति मनो नो वा कषायैः प्लुतम् । ......... अध्यात्मकल्पद्रुम, श्लो. 13/1 का पूर्वार्ध 9 भूतवत् कहई भाविनैगम ............. द्रव्यगुणपर्यायनोरास, गा. 6/9 Jain Education International For Personal & Private Use Only www.jainelibrary.org
SR No.003974
Book TitleDravya Gun Paryay no Ras Ek Darshanik Adhyayan
Original Sutra AuthorN/A
AuthorPriyasnehanjanashreeji
PublisherPriyasnehanjanashreeji
Publication Year2012
Total Pages551
LanguageHindi
ClassificationBook_Devnagari
File Size9 MB
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