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________________ 149 अनुयोगद्वारसूत्र, आवश्यकनियुक्ति, विशेषावश्यक भाष्य आदि का अनुसरण करती है। आगे उन्होंने नैगमनय के तीन भेद बताये हैं। यथा 1. भूतनैगमनय 2. भाविनैगमनय, और 3. वर्तमाननैगमनय 1. भूतनैगमनय - जो नय भूतकाल में वर्तमान का आरोप कर 'आज अर्थात् दीपावली को महावीर स्वामी निर्वाण को प्राप्त हुए। ऐसा कथन करता है, वह भूतनैगमनय है।16 यहाँ भूतकाल में वर्तमान का आरोपण किया गया है। जो पर्याय व्यतीत हो चुकी है, उसमें वर्तमानकाल का संकल्प करना भूतनैगमनय है। जैसे- आज के दिन भगवान महावीर का निर्वाण हुआ था। यह कथन वर्तमानकाल में अतीत का आरोपण करता है।17 यशोविजयजी ने भी भूतकालीन घटनाओं में वर्तमान की तरह व्यवहार करने वाले नय को भूतनैगमनय कहा है।18 आज से लगभग 2535 वर्ष पूर्व जो दीपावली का दिन था, उस दिन प्रभु महावीर का निर्वाण हुआ था। इस वास्तविकता से सभी अवगत होने पर भी 'आज भगवान महावीर का निर्वाण दिन है ऐसा कहने पर सभी सहर्ष स्वीकार कर लेते हैं। कोई इस वाक्य को असत्य नहीं ठहराता है। अतः स्पष्ट है वर्तमान दीपावली के दिन में भूतकालीन दीपावली का आरोपण किया गया है। महोपाध्याय यशोविजयजी ने द्रव्यगुणपर्यायनोरास के स्वोपज्ञ टबा में अतीत में वर्तमान का और वर्तमान में अतीत का आरोप दोनों का उल्लेख किया है।19 यथा1. अतीत में वर्तमान का आरोप - प्रभु महावीर आज दीपोत्सव के दिन निर्वाण को प्राप्त हुए हैं। 2. वर्तमान में अतीत का आरोप – आज वर्धमानस्वामी का निर्वाण कल्याणक है। 316 अतीते वर्तमान आरोपणं 317 णित्वत अत्थकिरिया वदृणकाले 318 बहुमानग्राही कहिओ नैगम 319 इहां-अतीत दीवाली दिननइ आलापपद्धति, सू. 65 नयचक्र, गा. 206 ..... द्रव्यगुणपर्यायनोरास, गा. 6/7 वही, टबा, गा. 6/7 Jain Education International For Personal & Private Use Only www.jainelibrary.org
SR No.003974
Book TitleDravya Gun Paryay no Ras Ek Darshanik Adhyayan
Original Sutra AuthorN/A
AuthorPriyasnehanjanashreeji
PublisherPriyasnehanjanashreeji
Publication Year2012
Total Pages551
LanguageHindi
ClassificationBook_Devnagari
File Size9 MB
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