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________________ 144 नित्य तथा यह ध्रौव्यता पर्यायार्थिक नय का विषय नहीं होने पर भी ध्रौव्यता को विषय बनाने से यह अशुद्ध है। यही कारण है कि इसे नित्य अशुद्ध पर्यायार्थिक नय कहा गया है। 5. कर्मोपाधि रहित नित्य शुद्ध पर्यायार्थिक नय [कर्मोपाधि निरपेक्ष अनित्य शुद्ध पर्यायार्थिक नय 'द्रव्यगुणपर्यायनोरास' में उपाध्याय यशोविजयजी ने पर्यायार्थिक नय के पांचवे भेद को नित्य शुद्ध पर्यायार्थिक नय कहा है।293 जबकि आलापपद्धति और नयचक्र में इसे अनित्य शुद्ध पर्यायार्थिक नय कहा है। (सिद्धात्माओं की शुद्ध पर्यायों के समान ही) संसारी जीवों की पर्यायों को भी शुद्ध मानना, कर्मोपाधि निरपेक्ष अनित्य शुद्ध पर्यायार्थिक नय है।294 यशोविजयजी ने संसारी जीवों के पर्यायों को सिद्ध के पर्यायों के समान देखने वाली दृष्टि को नित्य शुद्ध पर्यायार्थिक नय कहा है।295 द्रव्यानुयोगतर्कणा में भी लगभग यही परिभाषा दी गई है तथा इस नय को नित्य-शुद्ध ही माना गया है।296 कर्मों की उपाधियों से युक्त होने से संसारी जीव की पर्याय अशुद्ध है। कर्मोपाधियों से मुक्त हुए बिना संसारी जीव की पर्याय शुद्ध नहीं हो सकती है। किन्तु यह नय कर्मजन्य उपाधियों की उपेक्षा करके संसारी जीव की आत्मा में रही हुई केवलज्ञान, दर्शन–चारित्र आदि की पर्यायों को, जो कि सिद्धों की पर्यायों के समान है, उनका ही विवक्षा करता है। अतः इस नय को कर्मोपाधि रहित नित्य शुद्ध पर्यायार्थिक नय कहा है।297 जीव की कर्मोपाधि रहित शुद्ध अवस्था को मानने के कारण ही इसे कर्मोपाधि रहित नित्य शुद्ध पर्यायार्थिकनय कहा है। 293 पर्याय अरथो नित्य शुद्धो रहित कर्मोपाधि द्रव्यगुणपर्यायनोरास, गा.6/5 294 अ) कर्मोपाधि निरपेक्ष स्वभावोऽनित्य शुद्ध पर्यायार्थिको .................. आलापपद्धति, सू.62 ब) देहीण पज्जाया सुद्धा सिद्धाण भणइ सारिच्छा ...................... नयचक्र, गा. 203 295 पर्याय अरथो नित्य शुद्धो ...... ......... द्रव्यगुणपर्यायनोरास, गा. 6/5 296 कर्मोपाधि विनिर्मुक्तो नित्यः शुद्धः प्रकीर्तित ............................. द्रव्यानुयोगतर्कणा, श्लो. 6/6 297 कर्मोपाधि भाव छतां छइ . पायनोरास, गा.6/5 का टब्बा ........................................... ............... द्रव्यगणपयायगारात, ना.0/. पण म Jain Education International For Personal & Private Use Only www.jainelibrary.org
SR No.003974
Book TitleDravya Gun Paryay no Ras Ek Darshanik Adhyayan
Original Sutra AuthorN/A
AuthorPriyasnehanjanashreeji
PublisherPriyasnehanjanashreeji
Publication Year2012
Total Pages551
LanguageHindi
ClassificationBook_Devnagari
File Size9 MB
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