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________________ 143 उत्पाद को अपनी दृष्टि में लेकर सत्ता की ओर दृष्टि नहीं करनेवाला नय पर्यायार्थिक नय का तीसरा भेद है। 4. नित्य अशुद्ध पर्यायार्थिक नय – { अनित्य अशुद्ध पयार्याथिक नय] जो एक समय में ही उत्पाद, व्यय और ध्रौव्य से युक्त पर्याय को ग्रहण करता है, वह अनित्य अशुद्ध पर्यायार्थिकनय है।288 आलापपद्धति में उत्पाद और व्यय के साथ ध्रौव्ययुक्त पर्याय को ग्रहण करनेवाले नय को सत्ता सापेक्ष अनित्य अशुद्ध पर्यायार्थिक नय कहा है।289 यशोविजयजी ने सत्ता को भी उत्पाद-व्यय के साथ ग्रहण करने वाले नय को नित्य अशुद्ध पर्यायार्थिक नय कहा है। जैसे कि प्रतिसमय पर्याय उत्पाद-व्यय-ध्रौव्य, इन तीनो लक्षण से युक्त है।90 यह नय उस-उस समय में रही हुई पर्यायों को उत्पाद-व्यय-ध्रौव्य से युक्त देखता है। यहाँ विशेष ध्यान देने की बात यह है कि आलापपद्धति और नयचक्र में पर्यायार्थिक नय के चतुर्थ प्रकार को अनित्य अशुद्ध पर्यायार्थिक नय कहा है। उत्पाद-व्यय रूप पर्याय को ग्रहण करने से अनित्य है तथा ध्रौव्य युक्त सत्ता से युक्त पर्याय को ग्रहण करने से वह अशुद्ध है। अनित्य अशुद्ध पर्यायार्थिक नय का यही स्वरूप है। अनित्य मानकर भी ध्रौव्य मानना यही इस नय की अशुद्धता है। इसी कारण से इसे अनित्य अशुद्ध पयार्यार्थिक नय कहते हैं। यशोविजयजी ने इस नय को नित्य अशुद्ध पर्यायार्थिक नय कहा है।291 जिसका समर्थन द्रव्यानुयोगतर्कणा292 से भी होता है। ध्रौव्यांश को ग्रहण करने से 288 जो गेहइ एक समये उप्पादवयधुवत्तसंजुत्तं .. नयचक्र, गा. 202 289 सत्ता सापेक्ष स्वभावोऽनित्य-अशुद्धपर्यायार्थिको ... आलापपद्धति, सू.61 290 जिम समयमइ पर्याय नाशी छतिं गहत नित्य अशुद्ध रे. ............. द्रव्यगुणपर्यायनोरास, गा.6/4 291 वही, गा. 6/4 192 सत्तां गृहणन् चतुर्थाख्यो नित्योऽशुद्ध उदीस्वः ...................... द्रव्यानुयोगतर्कणा, श्लो. 6/4 Jain Education International For Personal & Private Use Only www.jainelibrary.org
SR No.003974
Book TitleDravya Gun Paryay no Ras Ek Darshanik Adhyayan
Original Sutra AuthorN/A
AuthorPriyasnehanjanashreeji
PublisherPriyasnehanjanashreeji
Publication Year2012
Total Pages551
LanguageHindi
ClassificationBook_Devnagari
File Size9 MB
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