SearchBrowseAboutContactDonate
Page Preview
Page 156
Loading...
Download File
Download File
Page Text
________________ 136 स्वकाल और स्वभाव, इन चारों की अपेक्षा से विद्यमान (सत्) है। स्वद्रव्य से घट मिट्टीरूप है। स्वक्षेत्र से पाटलीपुत्रादि में निर्मित है। स्वकाल से विवक्षितकाल अर्थात् शीतऋतु में बना हुआ है। स्वभाव से रक्तता आदि भाव है।256 इस प्रकार स्वद्रव्यादि चतुष्टय से ही उस घट की सत्ता सिद्ध होती है। 9. परद्रव्यादिग्राहक द्रव्यार्थिक नय : वस्तु में परद्रव्यादि चतुष्टय के नास्तित्व को ग्रहण करनेवाला नय परद्रव्यादि ग्राहक द्रव्यार्थिक नय है। नयचक्र और द्रव्यानुयोगतर्कणा'59 में भी इसी परिभाषा को स्पष्ट करते हुए कहा है – जो परद्रव्य, परक्षेत्र, परकाल और परभाव रूप असत् पक्ष का द्रव्य में ग्रहण करता है, वह परद्रव्यादिग्राहक द्रव्यार्थिक नय है। 'द्रव्यगुणपर्यायनोरास' में उपाध्याय यशोविजयजी ने भी दिगम्बर परम्परा के अनुसार वस्तु में परद्रव्यादि के अभाव के ग्राहक को द्रव्यार्थिकनय का नौवां भेद कहा है। जैसे वस्तु में परद्रव्यादि चतुष्टय का अभाव है।260 प्रत्येक घटादि पदार्थ में स्वद्रव्यादि चतुष्ट्य का सद्भाव तथा परद्रव्यादि चतुष्टय का अभाव होता है। घट में परद्रव्य तंतु का, परक्षेत्र-काशी आदि में निर्मित होने का, परकाल–अतीत, अनागतकाल की पर्यायों का, परभाव-श्यामत्व आदि का अभाव (असत्) कहना इस नय का विषय है।261 256 स्वद्रव्यथी-मृत्तिकाई, स्वक्षेत्रथी द्रव्यगुणपर्यायनोरास, गा. 5/17 का टब्बा 257 परद्रव्यादि-ग्राहक द्रव्यार्थिको आलापपद्धति, सू. 54 258 सदव्वादिचउक्के संतं नयचक्र. गा. 197 259 परद्रव्यादिक ग्राही नवमो भेद .. ... द्रव्यगुणपर्यायनोरास, गा. 5/18 260 परद्रव्यादिग्राहको नवम भेद तेमाही रे ................................... द्रव्यगुणपर्यायनोरास, गा. 5/18 261 परद्रव्य - तंतु प्रमुख .. .................... वही, टब्बा Jain Education International For Personal & Private Use Only www.jainelibrary.org
SR No.003974
Book TitleDravya Gun Paryay no Ras Ek Darshanik Adhyayan
Original Sutra AuthorN/A
AuthorPriyasnehanjanashreeji
PublisherPriyasnehanjanashreeji
Publication Year2012
Total Pages551
LanguageHindi
ClassificationBook_Devnagari
File Size9 MB
Copyright © Jain Education International. All rights reserved. | Privacy Policy