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________________ 134 भेदग्राहक तो पर्यायार्थिकनय है। इस नय का उदाहरण ऐसा होना चाहिए - आत्मा के शुद्ध ज्ञानादि गुणों से आत्मा अभिन्न है।245 7. अन्वय द्रव्यार्थिक नय : संपूर्णतः गुण–पर्याय स्वभाववाले सापेक्ष द्रव्य को ग्रहण करने वाला अन्वय सापेक्ष शुद्ध द्रव्यार्थिक नय है| जैसे-द्रव्य, गुण पर्याय स्वभाववान हैं46 यहाँ द्रव्य, गुण और पर्याय में अन्वय देखा गया है। द्रव्य, गुण–पर्याय स्वभाववाला है। अतः गुण, पर्याय और स्वभाव में 'यह द्रव्य है', 'यह द्रव्य है ऐसा बोध कराने वाला नय अन्वय द्रव्यार्थिक नय है। अन्वय का अर्थ है - यह 'यह' है। इस प्रकार की अनूस्यूत प्रवृत्ति जिसका विषय है वह अन्वय द्रव्यार्थिक नय है।47 गुण तथा पर्यायों का द्रव्य से अन्वय (सहअस्तित्व) मानना अन्वय द्रव्यार्थिकनय है।248 'द्रव्यगुणपर्यायनोरास' के अनुसार यह नय द्रव्य को अन्वित स्वभाववाला अर्थात् गुण–पर्याययुक्त स्वभाववाले के रूप में ग्रहण करता है।249 स्थास, कोश, कुशूल, घट, कपाल आदि अवस्थायें बदलती रहती है। परन्तु इन सभी अवस्थाओं में मृद्रव्य अनुस्यूत रहता है। गुण–पर्यायों के बदलने पर भी उनमें द्रव्य अन्वित रहता है। द्रव्य का गुण पर्यायों में अन्वय (सह-अस्तित्व) होने के कारण गुण–पर्यायों का भी द्रव्य के रूप में उल्लेख करना इस नय का विषय है। उदाहरण के लिए -बालक मिट्टी की विविध वस्तुओं का बनाकर उनसे खेलता है। उस समय ऐसा कहना कि बालक 245 द्रव्यगुणपर्यायनोरास, विवेचन भाग-1, अभयशेखरसूरि, पृ. 202 246 अन्वयसापेक्ष द्रव्यार्थिको आलापपद्धति, सू. 53 247 नयचक्र का विशेष विवेचन, सं.पं. कैलाशचन्द्र शास्त्री पृ. 108 248 अन्वयी सप्तमश्चै .... ..... द्रव्यानुयोगतर्कणा, श्लो. 5/16 249 अन्वय द्रव्यार्थिक कहिओ .............. द्रव्यगुणपर्यायनोरास, गा. 5/16 Jain Education International For Personal & Private Use Only www.jainelibrary.org
SR No.003974
Book TitleDravya Gun Paryay no Ras Ek Darshanik Adhyayan
Original Sutra AuthorN/A
AuthorPriyasnehanjanashreeji
PublisherPriyasnehanjanashreeji
Publication Year2012
Total Pages551
LanguageHindi
ClassificationBook_Devnagari
File Size9 MB
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