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________________ 114 2. श्रुतज्ञान का विकल्प विशेष नय है। 3. ज्ञाता का अभिप्राय नय है। 4. वस्तु के नाना स्वभावों अर्थात् गुणों को गौण करके किसी एक स्वभाव या गुण के द्वारा वस्तु का कथन करना नय है। 1. नयप्रमाण परिगृहीत वस्तु का एक अंश : जिससे वस्तु तत्त्व का निर्णय किया जाता है, उसे सम्यक्रूप से जाना जाता है, उसे प्रमाण कहते हैं। प्रमाण वस्तु के संपूर्ण अंशों को ग्रहण करता है। अनेक धर्मों से विशिष्ट वस्तु प्रमाण रूप ज्ञान का विषय है और किसी एक धर्म से विशिष्ट उस वस्तु का ज्ञान नय का विषय है।150 वस्तु को प्रमाण से जानकर अनन्तर किसी एक अपेक्षा विशेष द्वारा पदार्थ का निश्चय करना नय है।51 समन्तभद्राचार्य ने अपनी आप्तमीमांसा में नय के हेतुपरक स्वरूप को दिखलाते हुए कहा है कि साध्य का सधर्मा होने से जो बिना किसी प्रकार के विरोध के स्याद्वादरूप नीति से विभक्त अर्थ विशेष का व्यंजक होता है, वह नय कहलाता है।152 प्रमाण द्वारा प्रकाशित किये गये पदार्थ की विशेष प्ररूपणा करनेवाला नय है।153 प्रमाण के द्वारा गृहीत वस्तु के ज्ञान या कथन के एक अंश को नय कहते हैं।154 नय वक्ता का वह अभिप्राय है जो श्रुतज्ञान प्रमाण से ज्ञात पदार्थ के एक अंश को जानकर अन्य अंशों के प्रति उदासीन रहता है।155 नय उस वस्तु का एकांश ज्ञान है जो प्रमाण से निश्चित है। अर्थात् प्रमाण द्वारा निश्चय हो जाने पर उसके उत्तरकालभावी परामर्श ही नय हैं।157 150 अनेकान्तात्मकवस्तु गोचर ................ न्यायवतार, कारिका, 29 151 एवं हयुक्तं प्रग्रह्य प्रमाणतः तत्त्वार्थसूत्र, सर्वार्थसिद्धि, 1/6 152 सधर्मणैव साध्यस्य .................... आप्तमीमांसा, श्लो. 106 153 प्रमाणप्रकाशितार्थ विशेष प्ररूपको नयः .... ... राजवार्तिक, 1/33 154 प्रमाणेन वस्तु संगृहीतार्थेकांशो नयः ................. आलापपद्धति, सू. 181 155 नीयते येन श्रुतारत्थानप्रमाण ................ प्रमाणनयतत्त्वालंकार, 7/1 156 प्रमाणप्रतिपन्नायैकदेशपरामर्शो नयः ............ .. स्याद्वादमंजरी, श्लो. 28 157 जैनेन्द्र सिद्धान्त कोश, पृ. 514 Jain Education International For Personal & Private Use Only www.jainelibrary.org
SR No.003974
Book TitleDravya Gun Paryay no Ras Ek Darshanik Adhyayan
Original Sutra AuthorN/A
AuthorPriyasnehanjanashreeji
PublisherPriyasnehanjanashreeji
Publication Year2012
Total Pages551
LanguageHindi
ClassificationBook_Devnagari
File Size9 MB
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