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________________ 280 डॉ. सागरमल जैन के शब्दों में -"जैन-विचारणा के अनुसार, मोहकर्म अष्टकर्मों में प्रधान है। वह बन्धन में डालने वाले कर्मों की सेना का प्रधान सेनापति है। इसके परास्त हो जाने पर शेष कर्म भी स्वतः भागने लगते हैं। मोहकर्म के नष्ट हो जाने के पश्चात् थोड़े ही समय में दर्शनावरण, ज्ञानावरण एवं अन्तराय - ये तीनों कर्म भी नष्ट होने लगते हैं। क्षायिक-मार्ग पर आरूढ़ साधक दसवें गुणस्थान के अन्तिम चरण में उस अवशिष्ट सूक्ष्म लोभांश को भी नष्ट कर इस बारहवें गुणस्थान में आते हैं और एक अन्तर्मुहूर्त जितने अल्पकाल तक इसमें स्थित रहते हुए इसके अन्तिम चरण में ज्ञानावरण, दर्शनावरण और अन्तराय नामक तीनों कर्मों के आवरणों को नष्ट कर अनन्त-ज्ञान, अनन्त-दर्शन और अनन्त-शक्ति से युक्त हो विकास की अग्रिम श्रेणी में चले जाते हैं।" 100 इस गुणस्थान में शुक्लध्यान के प्रथम दो चरण संभव होते हैं। 13. सयोगीकेवली-गुणस्थान - साधक क्षीणमोह-गुणस्थान के चरम समय में तीन घातीकर्मों का नाश करके सयोगीकेवली-गुणस्थान यानी तेरहवें गुणस्थान में प्रवेश करता है। 101 यहाँ ज्ञानावरणीय के क्षय से अनंतज्ञान, दर्शनावरणीय के क्षय से अनंतदर्शन और अन्तरायकर्म के क्षय से अनंत-सुख तथा अनन्तवीर्य का प्रगटीकरण होता है। डॉ.सागरमल जैन ने इस सन्दर्भ में कहा है -"इस श्रेणी में आने वाला साधक अब साधक नहीं रहता, क्योंकि उसके लिए कुछ भी शेष नहीं रह जाता, लेकिन चार अघातीकर्म शेष रहते हैं। इस अवस्था में मानसिक, वाचिक और कायिक-क्रियाएँ होती हैं, जिन्हें योग कहा जाता है। इन योगों के अस्तित्व के कारण ही इस अवस्था का नाम सयोगीकेवली-गुणस्थान कहा जाता है।102 100 प्रस्तुत संदर्भ –'गुणस्थान सिद्धान्त : एक विश्लेषण – ले. डॉ. सागरमल जैन, पृ. 67 101 ‘उप्पन्नंमि अणंते नटुंमि य छाउमत्थिए नाणे।' –सटीकाश्चत्वारः प्राचीनः कर्मग्रन्थाः (कर्मस्तव) पृ.5 102 प्रस्तुत संदर्भ –'गुणस्थान सिद्धान्त : एक विश्लेषण - ले. डॉ.सागरमल जैन, पृ. 69 Jain Education International For Personal & Private Use Only www.jainelibrary.org
SR No.003973
Book TitleJinbhadragani Krut Dhyanshatak evam uski Haribhadriya Tika Ek Tulnatmak Adhyayan
Original Sutra AuthorN/A
AuthorPriyashraddhanjanashreeji
PublisherPriyashraddhanjanashreeji
Publication Year2012
Total Pages495
LanguageHindi
ClassificationBook_Devnagari
File Size9 MB
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