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________________ 246 प्रशमरतिप्रकरण के अनुसार शुद्धिकरण में आर्जव की महत्त्वपूर्ण भूमिका है। अशुद्ध आत्मा धर्माराधना में मग्न नहीं हो सकती है, धर्म के बिना मोक्ष नहीं और मोक्ष से बढ़कर दूसरा कोई सुख नहीं है।846 तत्त्वार्थसिद्धवृत्ति में कहा गया है कि आर्जव अर्थात् सरलता, जहां कपटता का अभाव है, वहां आर्जव-धर्म है।947 पं. सुखलाल संघवी ने तत्त्वार्थसूत्र के विवेचन में लिखा है कि भाव की विशुद्धि, अर्थात् विचार, भाषण और व्यवहार की एकता ही आर्जव-गुण है। इसकी प्राप्ति के लिए कुटिलता या मायाचारी के दोषों के परिणाम का विचार करना चाहिए।848 ___ बौद्ध-परम्परा के अंगुत्तरनिकाय में कहा गया है कि माया, छल, कपट, शठता, ठगना आदि दुर्गति के हेतु हैं, जबकि सरलता, ऋजुता आदि स्वर्ग या मोक्ष के हेतु हैं।949 आर्जव-गुण का प्रकटीकरण माया-कषाय के अभाव में होता है, अतः आर्जव -गुण शुक्लध्यान का आधार व आलम्बन होता है। 4. मुक्ति-आलम्बन - ध्यानशतक की गाथा क्रमांक उनहत्तर में शुक्लध्यान के चौथे आलम्बन का उल्लेख करते हुए ग्रन्थकार जिनभद्रगणि क्षमाश्रमण कहते हैं कि जब कषाय पूर्णरूपेण क्षीण होता है, तब मुक्ति का आविर्भाव हो जाता है।850 मुक्ति का अपर नाम निर्लोभता है, क्योंकि सभी बन्धनों, दोषों का कारण विषय-सुख का प्रलोभन है।851 लोभ के अभाव में सन्तोष-गुण प्रकट होता है। आचारांगसूत्र में उल्लेख है कि सुख की लालसा वाला लोभी व्यक्ति पुनः पुनः दुःखमय जीवन व्यतीत करता है।852 धर्माद्दते न मोक्षो मोक्षात्परं सुखं नान्यत् ।। - प्रशमरतिप्रकरण, श्लोक- 170. 847 ऋजुभावः ऋजुकर्म वाऽऽर्जवम्। - तत्त्वार्थसिद्धवृत्ति. 848 तत्त्वार्थसूत्र - विवे.- पं. सुखलाल संघवी, पृ. 209. 849 अंगुत्तरनिकाय- 2/15, 17. 850 अह खंति- मद्दवऽज्जव मुत्तीओ ........... || - ध्यानशतक, गाथा- 69. . 851 जैनधर्म में ध्यान – कन्हैयालाल लोढ़ा, पृ. 130. 852 सुहट्ठी लालप्पभाणे सएण दुक्खेण मूढे विप्परियासमुवेति ..... ।। - आचारांगसूत्र, अध्याय- 2, उद्देशक- 6/151. Jain Education International For Personal & Private Use Only www.jainelibrary.org
SR No.003973
Book TitleJinbhadragani Krut Dhyanshatak evam uski Haribhadriya Tika Ek Tulnatmak Adhyayan
Original Sutra AuthorN/A
AuthorPriyashraddhanjanashreeji
PublisherPriyashraddhanjanashreeji
Publication Year2012
Total Pages495
LanguageHindi
ClassificationBook_Devnagari
File Size9 MB
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