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जिनभद्रगणिकृत ध्यानशतक एवं उसकी हरिभदीय टीका : एक तुलनात्मक अध्ययन
तृतीय अध्याय
1. आर्त्तध्यान का स्वरूप एवं लक्षण
2. आर्त्तध्यान के चार भेद
3. रौद्रध्यान का स्वरूप एवं लक्षण
4. रौद्रध्यान के चार भेद
5. धर्मध्यान का स्वरूप एवं लक्षण
6. धर्मध्यान के चार भेद
7. धर्मध्यान के विभिन्न द्वार
(क) भावनाद्वार
(ख) देशद्वार
(ग) कालद्वार
(घ) आसनद्वार
(ड.) आलंबनद्वार
(च) क्रमद्वार
(छ) ध्यातव्यद्वार ( धातृद्वार )
(ज) अनुप्रेक्षाद्वार
8. शुक्लध्यान का स्वरूप एवं लक्षण
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