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जिनभद्रगणिकृत ध्यानशतक एवं उसकी हरिभद्रीय टीका : एक तुलनात्मक अध्ययन
9. शुक्लध्यान के स्तर एवं भेद
(क) ध्यातव्यद्वार
(ख) धातृद्वार
(ग) अनुप्रेक्षाद्वार
(घ) लेश्याद्वार
(ड.) लिंगद्वार
(च) आलंबनद्वार
(छ) क्रमद्वार
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आर्त्तध्यान के चिन्तन के विषय
रौद्रध्यान के चिन्तन के विषय
धर्मध्यान के आलंबन
शुक्लध्यान के आलंबन
क्या ध्यान के लिए आलंबन की आवश्यकता है ?
आलम्बन से निरालम्बन की ओर
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