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________________ आदि सामान्य कार्य बार- बार पूछना असम्भव होने के कारण बहुवेलादि के आदेश से पूछ लिया जाता है। 7. प्रतिपृच्छा - सामाचारी प्रतिपृच्छा से तात्पर्य है कि गुरु ने जिस कार्य का आदेश दिया है, उस कार्य को पुनः पूछकर करना चाहिए, क्योंकि ऐसी सम्भावना बन सकती है कि गरु ने पूर्व में जब कोई कार्य करने का आदेश दिया था, उस समय वह कार्य हितकर अथवा लाभदायक होगा ? अथवा वह कार्य अन्य किसी से करवा लिया होगा ? अथवा अब उस कार्य को नहीं करवाना होगा ? या वही कार्य इस समय करना अहितकर भी हो सकता है, अतः पुनः पूछकर प्रतिपृच्छा - सामाचारी का पालन करना चाहिए। यही बात आचार्य हरिभद्र ने पंचाशक - प्रकरण में साधुसामाचारीविधि-पंचाशक की तीसवीं से बत्तीसवीं तक की गाथाओं में इस प्रकार कही है गुरु के द्वारा पहले कहे गए कार्य को प्रारम्भ करते समय 'आपने जो कार्य पहले करने को कहा था, उसे मैं करने जा रहा हूँ- ऐसा फिर से पूछना प्रतिपृच्छ-सामाचारी कहलाता है । शिष्य के द्वारा पुनः पूछे जाने पर गुरु दूसरा कार्य करने को कह सकते हैं, या पहले से कहे हुए कार्य का निषेध कर सकते हैं, या उस कार्य को बाद में करने को कह सकते हैं, या दूसरा शिष्य करेगा - ऐसा कह सकते हैं, या दूसरे साधु ने उसे कर लिया है - ऐसा कह सकते हैं, या पहले कहे हुए कार्य के विषय में कुछ नई सूचनाएँ दे सकते हैं। प्रतिपृच्छना करने के लिए ऐसे अनेक कारण होते हैं। कहे हुए कार्य को करने हेतु जाते समय साधु को यदि अपशकुन के कारण वापस आना पड़े, तो भी उसे इस विधि का प्रयोग करना चाहिए। एक बार वापस आना पड़े, तो आठ उच्छ्वास ( एक नवकार) के बराबर कायोत्सर्ग करना चाहिए। दूसरी बार वापस आना पड़े, तो सोलह उच्छ्वासों का कायोत्सर्ग करना चाहिए। तीसरी बार वापस आना पड़े, तो सहयोगी के रूप में बड़े साधु को साथ ले जाना चाहिए। तीन बार वापस आना पड़े, तो फिर से गुरु से पूछना चाहिए । यही प्रतिपृच्छना - सामाचारी है। पंचाशक- प्रकरण - आचार्य हरिभद्रसूरि - 12 / 30, 31, 32- पृ. 211, 212 Jain Education International For Personal & Private Use Only 441 www.jainelibrary.org
SR No.003972
Book TitlePanchashak Prakaran me Pratipadit Jain Achar aur Vidhi Vidhan
Original Sutra AuthorN/A
AuthorKanakprabhashreeji
PublisherKanakprabhashreeji
Publication Year2013
Total Pages683
LanguageHindi
ClassificationBook_Devnagari, Ritual, & Vidhi
File Size10 MB
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