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________________ सुन्दर को असुन्दर और असुन्दर को सुन्दर कहना, अर्थात् कन्या के विषय में असत्य जानकारी देना । प्रश्न यह है कि क्या श्रावक कन्या के विषय में ही झूठ बोलता है लड़के के लिए झूठ नहीं बोल सकता है ? यदि ऐसा है, तो फिर कन्या के विषय में ही यह बात क्यों कहीं गई ? ग्रन्थकार ने इसका समाधान दे दिया है कि कन्या से सम्बन्धित असत्य वचन के त्याग से दो पैर वाले सभी प्राणियों से सम्बन्धित असत्य वचन का त्याग हो जाता है। इसे समझाने हेतू अब अलग-अलग स्पष्टीकरण की जरूरत नहीं रही, अतः कन्या शब्द मे ही सभी द्विपदों का अन्तर्भाव समझ लेना चाहिए । 2. गौ असत्य वचन पशुओं के विषय में भी कभी असत्य बोलने का प्रसंग आता है, जैसे - अधिक दूध देने वाली गाय को कम दूध देने वाली गाय बताना या कम दूध देने वाली गाय को अधिक दूध देने वाली बताना । संक्षेप में, पशु आदि के क्रय-विक्रय हेतु गलत जानकारी देना गौ असत्य वचन है। गौ का अर्थ गाय होता है, परन्तु यहाँ गौ से चार पाँव वाले सभी प्राणियों को इंगित किया जाता है, अतः इसके त्याग से सभी चार पैर वाले जीवों से सम्बन्धित असत्य वचन का त्याग हो जाता है। 3. भूमि असत्य वचन भूमि के विषय में भी कभी असत्य बोलने का प्रसंग आता है, जैसे- अपनी भूमि को अन्य की भूमि कहना या अन्य की भूमि में अपना स्वामित्व स्थापित करना । भूमि से सम्बन्धित कार्य अपने सामने नहीं हुआ हो, परन्तु भूमि का अमुक कार्य मेरे सामने हुआ - यह बताना तथा अन्य की भूमि को अपनी भूमि बताकर विक्रय कर देना भूमि-सम्बन्धी असत्य वचन है। भूमि - सम्बन्धी असत्य वचन के त्याग से सभी द्रव्यों से सम्बन्धित सत्य वचन का भी त्याग हो जाता है । - 4. न्यास - अपहरण अमानत के सम्बन्ध में भी कभी दुर्भाव के कारण असत्य बोलने का प्रसंग उपस्थित होता है, जैसे- किसी व्यक्ति द्वारा विश्वासपूर्वक रखी गई अमानत (वस्तु) हड़प जाने के उद्देश्य से उसे यह कहकर वापस नहीं देना कि आपने वह वस्तु मुझे दी ही नहीं थी, अथवा मेरे पास नहीं रखी थी। इस प्रकार, किसी की धरोहर को दबाने के Jain Education International For Personal & Private Use Only 235 www.jainelibrary.org
SR No.003972
Book TitlePanchashak Prakaran me Pratipadit Jain Achar aur Vidhi Vidhan
Original Sutra AuthorN/A
AuthorKanakprabhashreeji
PublisherKanakprabhashreeji
Publication Year2013
Total Pages683
LanguageHindi
ClassificationBook_Devnagari, Ritual, & Vidhi
File Size10 MB
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