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________________ लिए और अपने स्वार्थ को सिद्ध करने के लिए असत्य वचन बोलना न्यासापहरण असत्य I 5. कूटा धन, सम्पत्ति आदि से सम्बन्धित विवादों भी असत्य बोलने का प्रसंग आता है, जैसे- न्यायालय में झूठी गवाही देना, राग, द्वेष, ईर्ष्या आदि के कारण जो कार्य अपने सम्मुख नहीं हुआ है या हुआ है, उसके विषय झूठी साक्ष्य देना कूटसाक्षी है। इन पाँच प्रकार के असत्य वचनों के परित्याग करने को ही सत्याणुव्रत कहते हैं। सत्याणुव्रत के स्वरूप का कथन करते हुए समन्त भद्राचार्य ने कहा हैं'जो स्थूल असत्य स्वयं नहीं बोलता और न दूसरे से कहलवाता है तथा जिस वचन से अपने पर या दूसरे पर आपत्ति आ जाए ऐसा सत्य भी नहीं बोलता है, उसे सन्त पुरुष झूठ का त्याग कहते हैं। दशवैकालिक में कहा गया है कि सत्य होने पर भी अवज्ञासूचक शब्दों का प्रयोग न करें। सम्मानसूचक शब्दों का ही प्रयोग करें। सत्य बोलने में विवेक रखें। ऐसा भी सत्य न बोलें, जिससे किसी पर भारी आपत्ति आ जाए, अथवा किसी की मौत हो जाए। मान लो आप चौराहे पर खड़े हों और किसी ने आकर पूछा कि यहाँ से भागते हुए आदमी को देखा है ? अथवा यहाँ से भागते हुए बकरे को देखा ? यदि हिम्मत हो, तो कह दें कि हाँ देखा है ? पर बताऊंगा नहीं ? यदि हिम्मत नहीं है, तो आप उस समय मौन रहें, पर सत्य नहीं बताएँ। कल्पसूत्र' में सामाचारी में समिति और गुप्ति के प्रसंग में भाषा – समिति में उदाहरण आता है कि मुनि बहुभूमि के लिए नगर से बाहर आए, तो शत्रु के सैनिकों ने उन्हें पकड़ लिया और उनसे नगर की प्राकार - भित्ति पर कितनी सेना है आदि पूछने लगे, तो मुनि मौन रहे । फिर पूछा, तो सत्य जवाब दिया, पर वह सत्य कैसा सत्य था, वह समझे- जो सुनते हैं, वे देखते-बोलते नहीं और जो देखते या बोलते हैं, वे सुनते नहीं । मुनि को पागल समझकर उन सैनिकों ने छोड़ दिया। 1 श्रीरत्नकरण्ड श्रावकाचार - समन्तभद्र, तृतीय अणुव्रत अधिकार - पृ. - 97 2 दशवैकालिकसूत्र - भायमभवसूरि- 7/1/1 3 कल्पसूत्र - समाचारी, अनु. सज्जन श्रीजी म. सा. - पृ. 386 Jain Education International For Personal & Private Use Only 236 www.jainelibrary.org
SR No.003972
Book TitlePanchashak Prakaran me Pratipadit Jain Achar aur Vidhi Vidhan
Original Sutra AuthorN/A
AuthorKanakprabhashreeji
PublisherKanakprabhashreeji
Publication Year2013
Total Pages683
LanguageHindi
ClassificationBook_Devnagari, Ritual, & Vidhi
File Size10 MB
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