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प्रश्न समाधान
सम्यक् ज्ञान किसे कहते हैं और इससे क्या लाभ प्राप्त होता है? जब व्यक्ति अपने भीतर छाए अज्ञान को पहचान लेता है तब सम्यक् ज्ञान की शुरुआत होती है। ज्ञान से ज्ञान का प्रारम्भ नहीं होता, अज्ञान की पहचान से ज्ञान का प्रारम्भ होता है। जब व्यक्ति अपने असत्य, अविद्या और मिथ्यात्व को पहचान लेता है तब जीवन के द्वार पर सम्यक् ज्ञान की पहली किरण उतरती है । व्यक्ति का ज्ञान तभी सम्यक् होता है जब वह अपनी अनुभूतियों से गुजरता है। विशुद्ध अनुभव, और अनुभव का विशुद्ध रूप ही सम्यक् ज्ञान है ।
मनुष्य का ज्ञान तीन प्रकार का होता है। एक ज्ञान पुस्तकों से, शास्त्रों से या सुनकर प्राप्त किया जाता है, वह श्रुत ज्ञान होता है । दूसरा रूप वह है जिसमें पढ़ने-सुनने के बाद व्यक्ति अपने चिन्तन और मनन से निष्कर्ष निकालता है। तीसरे रूप में चिन्तन-मनन के बाद अनुभव से गुजर कर जो निष्कर्ष निकलता है, वह ज्ञान । कोई भी शब्द चिन्तन-मनन से गुजरकर अपने भाव की तह तक पहुंचकर, भाव के अर्थ को स्पर्श करते हुए अनुभूति के मार्ग से निकल जाता है तव वह ज्ञान सम्यक् ज्ञान हो जाता है ।
परमात्मा : चेतना की पराकाष्टा / ६६
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