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________________ विद्यालय में अनुभवों का महत्व है। चैतन्य-स्थित होकर इस पृथ्वी ग्रह पर जीना ही हमारे जीवन का उद्देश्य होना चाहिये। ध्यान करते समय आंसू क्यों आए? वे भीतर की कसक और पीड़ा के आंसू हैं। इन आंसुओं की कसक में बहुत प्रसन्नता और आनन्द है। जब भीतर उमड़ने वाले किसी विचार को, भाव को, जुबान के द्वारा व्यक्त नहीं कर सकते, जुबान बंद हो जाती है आंसुओं के द्वारा आँखें बोलने लगती हैं। जब दिल भर आता है या आत्मा बहुत पुलकित हो जाती है तब आँखें उमड़ आती हैं, भर जाती ये आंसू अहोभाव के हैं। ये आंसू भीतरी संवेगों से उत्पन्न हुआ तत्त्व है। भीतर की ऊर्जा जब मस्तिष्क के तंतुओं को सक्रिय करती है, उनकी ग्रंथियों का स्पर्श करती है, तब मस्तिष्क के आंसुओं की थैली भी सक्रिय हो जाती है और वे बाहर उमड़ कर आते हैं। सब कुछ चार्ज (सक्रिय) हो जाता है। ये आंसू अहोभाव के, पवित्रता के, भीतर के कषाय के निकलने के प्रतीक हैं। ये आंसू प्रायश्चित के भी हो सकते हैं लेकिन मेरे लिए ये आंसू अहोभाव के हैं। ये आंसू आपको नया बना रहे हैं। नहला रहे हैं, निर्मल कर रहे हैं। तुम्हारे इन आंसुओं के मोतियों को मैं स्वीकार करता हूँ और अपनी अहोकामना को समर्पित करता हूँ। मेरे प्रभु! तुम्हें मेरे प्रणाम हैं। धन्यभाग जो अहोभाव के आंसु उमड़े। चेतना का विकास : श्री चन्द्रप्रभ/३१ Jain Education International For Personal & Private Use Only www.jainelibrary.org
SR No.003960
Book TitleChetna ka Vikas
Original Sutra AuthorN/A
AuthorChandraprabhsagar
PublisherJityasha Foundation
Publication Year1994
Total Pages114
LanguageHindi
ClassificationBook_Devnagari
File Size11 MB
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