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मनुष्य
मेरे प्रिय आत्मन्,
का
अंतरंग
भगवान जीसस के जीवन की एक प्यारी-सी घटना है। कहते हैं कि गैलेली झील के बीच जोर का तूफान उठा। उस तूफान के मध्य एक नौका घिर गई। किनारे पर लगने के लिए नाविकों ने बहुत चेष्टा की पर उन्हें सफलता दिखाई नहीं दे रही थी। तूफान का वेग निरन्तर बढ़ रहा था। नाविक जब थककर चूर हो गए और मान लिया कि अब तो हमें डूबकर मरना ही पड़ेगा, तभी उनकी नज़र नौका के एक किनारे पर पड़ी, जहाँ एक व्यक्ति सोया हुआ था। नाविक यह देखकर दंग रह गए कि इस उफनते-भड़कते तूफान के बीच भी कोई इस प्रकार गहरी नींद सो सकता है।
उन्होंने उस आदमी को झिंझोड़ा और चिल्लाकर कहा - 'क्या तुम्हें पता नहीं है कि क्या हो गया?' वह हड़बड़ाकर उठा और पूछने लगा - ‘क्या हुआ?' नाविक और अधिक चौंके, लेकिन वे कुछ
और बोलें इससे पहले ही उस व्यक्ति ने कहा - 'क्या तुम्हें अपने-आप पर इतनी भी आस्था नहीं है? क्या तुम्हें स्वयं पर
चेतना का विकास : श्री चन्द्रप्रभ/१५
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