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भगवत्ता फैली सब ओर : महोपाध्याय चन्द्रप्रभ सागर आचार्य कुन्दकुन्द के अष्टपाहुड़ ग्रन्थ से ली गई आठ गाथाओं पर बड़ी मार्मिक उद्भावना। इसे तन्मयतापूर्वक पढ़ने से जीवन-क्रांति और चैतन्य-आरोहण बहुत कुछ सम्भव ।
पृष्ठ १००, मूल्य १०/सहज मिले अविनाशी : महोपाध्याय चन्द्रप्रभ सागर पतंजलि के प्रमुख योग-सूत्रों पर पुनर्प्रकाश; योग की एक अनूठी पुस्तक ।
पृष्ठ ६२, मूल्य १०/बिना नयन की बात : महोपाध्याय चन्द्रप्रभ सागर अध्यात्म-पुरुष श्रीमद् राजचन्द्र के प्रमुख पदों पर मानक प्रवचन । कठिन विषय का सरलतम प्रस्तुतीकरण।
पृष्ठ १००, मूल्य १०/अंतर के पट खोल : महोपाध्याय चन्द्रप्रभ सागर पतंजलि के दस सूत्रों पर पुनर्प्रकाश; योग की अनूठी पुस्तक ।
पृष्ठ ११२, मूल्य ७/हंसा तो मोती चुगै : महोपाध्याय चन्द्रप्रभ सागर भगवान महावीर के कुछ अध्यात्म-सूत्रों पर सामयिक प्रवचन ।
पृष्ठ ८८, मूल्य १०/ज्योति कलश छलके : महोपाध्याय ललितप्रभ सागर । जीवन-मूल्यों को ऊपर उठाने वाली, एक श्रेष्ठ पुस्तक जिसमें नैतिकता की चर्चा है, धार्मिकता की चेतना है और है साथ में अध्यात्म का अमृत पुट। भगवान् महावीर के सूत्रों पर विस्तृत चिन्तन ।
- पृष्ठ १६०, मूल्य २०/
कथा-कहानी
सिलसिला : महोपाध्याय चन्द्रप्रभ सागर कहानी-जगत की अनेक आजाद वारदातें, पशोपेश में पड़े इंसान के विकल्प को तलाशती दास्तान । बालमन, युवापीढ़ी, प्रौढ़ बुजुर्गों के अन्तर्मन को समान रूप से छूने वाली कहानियों का संकलन ।
पृष्ठ ११०, मूल्य १०/संसार में समाधि : महोपाध्याय ललितप्रभ सागर समाधि के फूल संसार में कैसे खिल सकते हैं, सच्चे घटनाक्रमों के द्वारा उसी का सहज विन्यास । हर कौम के लिए शान्ति और समाधि का संदेश ।
पृष्ठ १२०, मूल्य १०/लोकप्रिय कहानियाँ : महोपाध्याय चन्द्रप्रभ सागर जैन संस्कृति को उजागर करने वाली सुप्रसिद्ध कथा-कहानियों का सार-संक्षेप। सहज भाषा में जैनत्व की धड़कन ।
पृष्ठ ४८, मूल्य ३/
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