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________________ करते हैं। जिन्होंने जीवन के उतार-चढ़ावों को समझा है वे जानते हैं कि जीवन को सही ढंग से जीना भी बहुत बड़ी तपस्या है। ___ ज़रा अपने जीवन पर गौर करके तो देखो! कितने छातीकूटों से गुजरना पड़ता है। कितनी बार पति के साथ समझौता करना पड़ता है। कितनी बार सास की टोंटबाजी बरदाश्त करनी पड़ती है। अथवा कितनी बार बहू की अमर्यादा के कारण लज्जित होना पड़ा है। कितनी बार बड़े अधिकारी की फटकार सुननी पड़ी है। कितनी दफा कमाई न होने के बावजूद जवांई की खातीरदारी के लिए कर्ज़ करना पड़ा है ! क्या इस सारे तिलिस्म से गुजरना तपस्या नहीं है? ___मंगलवार और एकादशी के व्रत से कठिन तपस्या है यह । भूखे मरने में कोई खास बात नहीं है। किसी के द्वारा कहे गए कड़वे वचन को सहजता से सह लेना खास बात है। कहते हैं, महावीर ने अपने संन्यास काल में बमुश्किल कभी-कभार खाना खाया। पर मेरे देखे, भूखे रहना उतनी बड़ी बात नहीं है, जितनी महावीर के द्वारा कानों में ठोके गए कीलों को बर्दाश्त करना बड़ी बात है। किसी के द्वारा दिए जाने वाले अपमान के कीचड़ को मुस्कुराते हुए सह जाना कठिन है। जीवन को यदि सहजता से जीओ तो कोई कठिन, कठिन नहीं लगता। गाली सुनकर सबको गुस्सा आता है पर सहजता से जीने वाले गाली को भी सहजता से ले लिया करते हैं। मैं संत हाकुइन के जीवन से प्रेरित-प्रभावित रहा हूँ। संत हाकुइन पर जब चारित्रिक लांछन लगाते हुए कहा जाता है कि आपके पड़ोस में रहने वाली लड़की से होने वाली अवैध संतान आपकी है, तो हाकुइन का इतना ही ज़वाब होता है, 'ओह, ऐसी बात है। ठीक है।' जब रहस्य खुलता है और लोगों को हकीकत का पता चलता है तो खेद-ज्ञापित करते हुए लोग कहते हैं, 'क्षमा करें गुरु, हमारे द्वारा बहुत बड़ी गलती हो गई।' हाकुइन का तब भी वही सहज ज़वाब होता है, ओह, तो ऐसी बात है। ठीक है।' यह है सहजता की ज़िन्दगी। यह है साधना। यह है आध्यात्मिक नज़रिया। जहाँ व्यक्ति प्रतिकूल परिस्थितियों को भी इस तरह से सहजता से ले सहजता को बनाइए समाधि का साधन ४७ Jain Education International For Personal & Private Use Only www.jainelibrary.org
SR No.003959
Book TitleShanti Pane ka Saral Rasta
Original Sutra AuthorN/A
AuthorChandraprabhsagar
PublisherJityasha Foundation
Publication Year2012
Total Pages98
LanguageHindi
ClassificationBook_Devnagari
File Size10 MB
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