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लेता है वही अपने जीवन में, अपनी अन्तआत्मा में साधना की सच्ची इबादत कर पाता है। वही अपनी मक्ति को साध पाता है। बाकी अपने अन्तरमन के घेरों से मुक्त होना कोई इतना आसान है? महावीर और बुद्ध जैसे दिव्य पुरुषों को भी वर्षों वर्ष लग गए थे।
अपने-अपने मन के तिलिस्म से, कषायों और लेश्याओं के घेरों से मुक्त होना बगैर सहजता और सचेतनता के सम्भव नहीं है।
___ध्यान आपको जीवन की सहजता देता है। ध्यान यानी रिलेक्सेशन। शरीर को, दिमाग को, मन को, बुद्धि को, प्राणों को रिलेक्सेशन प्रदान करना ध्यान की पहली प्रेरणा है। आप अपने आपको देखिए कि आप टेंशन में हैं या रिलेक्स हैं? आप आनंदपूर्ण हैं या चिंताओं से घिरे हुए हैं? शोकाकुल हैं या गुलाब की तरह खिले हुए हैं? यदि जीवन के नेगेटिव परिणाम हैं तो सहजता' को जीवन का मंत्र बना लीजिए। चिंताओं को छोड़िए, शांति को मूल्य दीजिए। स्वयं को शांतिमय और आनंदमय बनाएँ। जो हो गया, उसे भूल जाइये। वह वक्त की ऐसी लहर थी, जिसे लौटाया नहीं जा सकता। बीती को भूलिए और अनबीते के नक्शे बनाने की हुज्जत छोड़िए। स्वयं को सहज बनाइये। आप अधिक स्वस्थ, सुखी और आनंदपूर्ण जीवन जी सकेंगे।
आदमी चाहे बच्चन हो या बिड़ला, अमिताभ हो या अम्बानी, खाते तो सभी बारह रुपये किलो का आटा ही हैं। फिर चिंता किस बात की? संकल्प कर लीजिए कि ज़िन्दगी को जीयेंगे तो सहजता से जीयेंगे। जो होना है सो हो जाएगा। जो होगा हर होनी का स्वागत कर लेंगे। मौत आनी है मौत का स्वागत करेंगे ज़िन्दगी है तो ज़िन्दगी का स्वागत करेंगे। इस पल अगर धर्मराज आ कर कहे कि तुम्हारे लिए यह पल ज़िन्दगी का है तो हम ज़िन्दगी का आनन्द लेंगे। अगर यमराज आकर कहें कि यह पल तुम्हारे लिए मृत्यु का पल है, तो मृत्यु का भी आनन्द लेंगे।
हम बस आनन्द लेना सीखें। ज़िन्दगी के हर पल का आनन्द लेना सीखें। हर पल अपने आप में नया जीवन है। एक नया अवसर है। हँसिबा खेलिबा धरिबा ध्यानम्। हँसो, खेलो और ध्यान धरो। अगर किसी ने आपका
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शांति पाने का सरल रास्ता
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