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में आप हाथ क्यों नहीं बँटाते?' यह सुनते ही ठेकेदार आपे से बाहर हो गया। उसने कहा, 'तू नहीं जानता मैं कौन हूँ? मैं हूँ इनका ठेकेदार।' यह सुनकर राहगीर मुस्कुराया और कहा, 'अच्छा, मैं इनकी मदद कर देता हूँ।' राहगीर चुपचाप मज़दूरों के साथ खंभे उठाने में मदद करने लगा। ठेकेदार ने पूछा, 'अबे, तू कौन है?' अज़नबी ने कहा, 'आप मुझे नहीं जानते? लोग मुझे नेपोलियन कहते हैं।'
ठेकेदार को काटो तो खून नहीं। क्योंकि फ्रांस का बादशाह उसके सामने था।
मैं इसे कहता हूँ सहजता। नेपोलियन की यह सहजता ही उसके जीवन की महानता है। सहज लोग बड़े होकर भी अपने आपको सहज ही रखते हैं।
स्वामी रामतीर्थ के बारे में कहते हैं कि रामतीर्थ जब पहली बार अमेरिका गए तो समुद्र-तट पर वे जहाज पर इधर से उधर घूमने लगे। एक अमेरिकी यात्री ने उनसे कहा, 'महाशय, आप अपना सामान उठाइए और चलिए।' रामतीर्थ ने कहा, 'मेरा सामान तो मेरा शरीर ही है। इसके सिवा मेरे पास कुछ नहीं है।' यात्री ने फिर पूछा, 'यहाँ आपका कोई मित्र है?' रामतीर्थ ने कहा, 'हाँ, एक है।' यात्री ने पूछा, 'कौन?' रामतीर्थ ने उस यात्री के कंधे पर हाथ रखते हुए कहा, 'आप।'
यह सुनते ही वह अमेरिकन यात्री स्वामी रामतीर्थ से प्रभावित हो गया और वह रामतीर्थ को मित्र कहने के कारण अपने घर ले गया। रामतीर्थ उसी के घर रुके।आपने देखा जीवन की इस सहजता को? सहजता यानी नैसर्गिकता। आप अपनी बोली में, अपने व्यवहार में, अपने जीने के तरीक़े में, सबमें सहजता रखिए।
___ जीवन में न कुछ बुरा है, न कुछ अच्छा है। हर विपरीत परिस्थिति में सोचिए हर अच्छा-बुरा एक होनहार है। जहाँ हर होनी का स्वागत करने का भाव हो, वहीं सहजता सुरक्षित रह पाती है। शायद कोई व्यक्ति आपको सम्मान दे जाए, तो आप कहेंगे 'शुक्रिया' । पर मैं अनुरोध करना चाहूँगा कि सहजता को बनाइए समाधि का साधन
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