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________________ सहजता यानी हर हाल में मस्ती, हर हाल में आनंद-दशा। जीवन में जब-जो-जैसा उदय में आना है, उस हर उदय-अवस्था को विधाता की व्यवस्था मानकर स्वीकार कर लेना – यही है सहजता। चाहने के नाम पर सुख हर कोई चाहता है। हर कोई व्यक्ति ईश्वर से भी सुख की ही प्रार्थना और कामना करता है। पर अद्भुत! सुख चाहने पर भी उसे सुख नहीं मिलता। इसी की जगह, दुःख कोई नहीं चाहता। पर इसके बावजूद जीवन में दुःख हर किसी को मिलते हैं। दुःख की अवस्थाओं से हर किसी को गुजरना पड़ता है। बुढ़ापा सबके लिए दुखदायी है, रोग सभी के लिए कष्टकारी है, अच्छी पत्नी, अच्छी संतान, अच्छा मित्र, अच्छा व्यवहार, अच्छे सुख-साधन हर कोई चाहता है, पर इसके बावजूद पत्नी के कलह को बरदाश्त करना पड़ता है, बच्चे सबके लिए टेंशन का कारण बनते हैं, दोस्त सबको दगा देते हैं। दुःख कोई नहीं चाहता, फिर भी दु:खों के प्रवाह में सबको बहना पड़ता है। अपने भी अनेक दफा आलोचक बन जाते हैं, वहीं पराये भी प्रशंसक और सहयोगी बन जाते हैं । सहजता की साधना हमें अनुकूल परिस्थितियों में तो सहज रहने की प्रेरणा देती ही है, प्रतिकूल परिस्थितियों में भी अनुकूल और सकारात्मक मानसिकता बनाये रखने का पाठ पढ़ाती है। सहज यानी हर हाल में सहज! मैं कभी मज़ाक में कहा करता हूँआग लगे बस्ती में पर अपन रहेंगे मस्ती में।' कोई सम्मान दे, उसकी मौज, कोई अपमान दे, उसकी मौज। तेरे सम्मान देने से मैं कोई बहुत अच्छा नहीं बना। तेरे अपमान देने से मैं कोई बुरा आदमी नहीं बना। जब जैसी मानसिक स्थिति होती है, व्यक्ति तब वैसा ही स्वयं को व्यक्त करता है। नकारात्मक भाव-दशा पैदा हो जाए, या अन्यथा-भाव किसी के दिमाग में घर कर जाए, तो वह हमारे प्रति अन्यथा आचरण ही करेगा। ऐसी स्थिति का सामना करने के लिए ही 'निरपेक्षता' का भाव अपनाइए। अनुकूलताओं में सभी अनुकूल रहते हैं, पर प्रतिकूलताओं में भी स्वयं को सहज-सौम्य रख लेना - यही जीवन की आध्यात्मिक सफलता है। ध्यान रखिए, मनुष्य की मानसिकता बदलती रहती है। वह ४२ शांति पाने का सरल रास्ता Jain Education International For Personal & Private Use Only www.jainelibrary.org
SR No.003959
Book TitleShanti Pane ka Saral Rasta
Original Sutra AuthorN/A
AuthorChandraprabhsagar
PublisherJityasha Foundation
Publication Year2012
Total Pages98
LanguageHindi
ClassificationBook_Devnagari
File Size10 MB
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