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________________ समाधि समाधानों का केन्द्र है । समाधान तो हजारों किस्म के होते हैं, पर समाधि समाधानों-का-समाधान है । यह उत्तरों-का-उत्तर/अनुत्तर है । भला, जो जगमगाहट सूरज में है, वह ग्रह-तारों में कहाँ से हो सकती है ! उसकी उजियाली बादल ढाँक नहीं सकती। इसलिए समाधि अन्तर-व्यक्तित्व के विकास की समग्रता है। ध्यान इसमें मददगार है। अचेतन मन को राहत देना ध्यान की प्रफुल्लता है। रोजमर्रा की तनाव भरी जिन्दगी में भी मानसिकता तथा प्रफुल्लता को अंकुरित करना ध्यान की मौलिक देन है । ध्यान और समाधि कोई चमत्कार नहीं है। यह चित्त के साथ एकाग्रता तथा वास्तविकता की दोस्ती है। चमत्कार मायाजाल भी हो सकता है पर समाधि बाजीगरी और मदारीगिरी नहीं ह। ..कती। चमत्कार हर आदमी नहीं कर सकता, पर समाधि हर आदमी पा सकता है । तन्द्रा टूटी कि समाधि की देहरी पर पाँव रखा। किसी ने मुझ से पूछा कि मन्दिर में घन्ट क्यों बजाया जाता है ? क्या भगवान् को जगाने के लिए ? मैंने कहा, नहीं। मन्दिर में घन्ट बजाया जाता अपने आपको जगाने के लिए, स्वयं को तन्द्रा से उबारने के लिए। ताकि दुनिया जहान के बिखराव और भटकाव को रोककर मन्दिर में एकाग्रचित्त हो सके। मन्दिर हमारी श्रद्धा का घर है। जहाँ चित्त शान्ति और समाधि का आलिंगन करे, वही मन्दिर है। घण्टा भीतर के लिए जाग-घड़ी है। उसे सुनकर यदि खुद जग गये, तो खुदा जगा है। खुद भी न जगे, तो खुदा को क्या जगाओगे ! वह जागृत के लिए जागृत और सुप्त के लिए सुप्त/लुप्त है। " [ ६१ ] Jain Education International For Personal & Private Use Only www.jainelibrary.org
SR No.003958
Book TitleMain to tere Pas Me
Original Sutra AuthorN/A
AuthorChandraprabhsagar
PublisherJityasha Foundation
Publication Year1990
Total Pages66
LanguageHindi
ClassificationBook_Devnagari
File Size5 MB
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