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मुग्ग११ मासा१२ य ॥ २५३ ॥ अयसि१३ हरिमन्ध१४ तिउडग१५ निष्फाव१६ सिलिंद१७ रायमासा१८ य । इक्खू१९ मसूर२० तुवरी२१ कुलत्थ२२ तह धनग२३ कलाया२४ ॥ २५४ ॥ रयणाणि चवीसं सुवण्णतउतपरययलोहाई । सीसगहिरण्णपासाणवइरमणिमोत्तिअपवालं ॥ २५५ ॥ संखो तिणिसागुरुचंदणाणि वत्थामिलाणि कट्ठाणि । तह चम्मदंतवाला गंधा दबोसहाई च ॥ २५६ ॥ भूमी घरा य तस्मण तिविहं पुण थावर मुणे । चकारवडमाणुस दुविहं पुण होई' दुपयं तु ॥२५७॥ गावी महिसी उट्ठा (हा) अयएलगआसआसतरगा अ। घोडग गदह हत्थी चउप्पर्य होइ दसहा उ ॥२५८॥ नाणाबिहोवगरणं णेगविदं कुष्पलक्खणं दोह। एसो अत्यो भणिओ छविह चउसट्टिमेओ उ॥ २५९ ॥ कामो चउवीसविहो संपत्तो खल तहा असंपत्तो। संपत्तो चउदसहा दसहा पुण होजसंपत्तो॥२६० ॥ तत्य असंपत्तो अत्य१ चिंतारतह सद३ संसरणमेव४। विकवय५ लजनासो६ पमाय ७ उम्माय८ तम्भावो९॥२६शामरणं१० च होई दसमो संपत्तंपिअ समासओ वोच्छं। दिट्ठीए संपाओ दिट्टीसेवा य१ संभासोर ॥२६२॥ हसिअ३ ललिअ४ उवगदिअ दंत नहनिवायचंचणंद होइ। आलिंगण९ मायाणं१० कर११ सेवण १२ संग१३ किवा१४ अ॥२६३ ॥ धम्मो अत्यो कामो तिते पिडिया पडिसवना । जिणवयणं उत्तिन्ना असवत्ता होंति नायबा ॥२६४ ॥ जिणवयणमि परिणए अवत्थविहिआणुठाणओ धम्मो । सच्छासयप्पयोगा अत्यो वीसंभओ कामो ॥ २६५ ॥ धम्मस्स फलं मोक्सो सासयमउलं सिर्व अणाचाहं। तमभिप्पेया साहू तम्हा धम्मत्थकामत्ति ॥ २६६ ॥ परलोग मुत्तिमग्गो नत्थि हु मोक्खोत्ति चिंति अविहिनू । सो अस्थि अवितहो जिणमयंमि पवरो न अन्नत्थ॥ २६७॥अट्ठारस ठाणाई आयारकहाएं जाई भणियाई। तेसिं अनतरागं सेवंतुन होइ सो समणो॥२६८॥ वयछकं कायछकं, अकप्पो गिहिभायण। पलियंक निसेजा य, सिणाणं सोहवजणं ॥२६९॥ इइ धम्मस्थकामज्झयणं ६॥ निस्खेवो
अ (उ) चउको बके दवं तु भासदचाई। भाव भासासदो तस्स य एगट्ठिया इणमो ॥२७०॥ वकं वयणं च गिरा सरस्सई भारही अगोवाणी। भासा पन्नवणी देसणी अ वयजोग जोगे अ॥२७१॥ दवे तिविहा अगहणे अ निसिरणे तह भवे पराघाए । भावे दवे अ सुए चरित्तमाराहणी चेव ॥२७२ ॥ आराहणी उ दवे सच्चा मोसा विराहणा होइ । सच्चामोसा मीसा असचमोसा य पडिसेहा ॥ २७३ ॥ जणवय सम्मय
ठवणा नामे स्वे पडुबसचे अ । ववहार भाव जोगे इसमे ओवम्मसच्चे अ॥२७४ ॥ कोहे माणे माया लोभे पेने तहेव दोसे अ। हास भये अक्खाइय उवघाए निस्सिआ दसमा॥२७५॥ उप्पन्नविगयमीसग जीवमजीवे अ जीवाजीये। तहणतमीसगा खल परित्त अद्धा य अबदा ॥ २७६ ॥ आमंतणि आणवणी जायणि तद्द पुच्छणी अ पनवणी । पञ्चक्खाणी भासा भासा इच्छाणुलोमा अ॥ २७७ ॥ अणभिग्गहिआ भासा भासा अ अभिग्गहंमि बोदवा । संसयकरणी भासा वायड अवायडा चेव ॥२७८॥ सवावि असा दुविहा पज्जत्ता खलु तहा अपजत्ता। पढमा दो पजत्ता उवरिष्ठा दो अपजत्ता ॥२७९॥ सुअधम्मे पुण तिविहा सचा मोसा असचमोसा अ। सम्मदिट्टी उ सुओवउत्तु सो भासई सचं ॥२८० ॥ सम्मदिट्टी उ सुअंमि अणुवउत्तो अहेउगं चेव । जं भासइ सा मोसा मिच्छादिट्ठीवि अ तहेव ॥२८१॥ हबद उ असचमोसा सुअंमि उपण्डिए तिनाणमि । जं उवउत्तो भासइ एत्तो वोच्छं चरित्तम्मि ॥२८२॥ पढमविइआ चरित्ते भासा दो चेव होंति नायवा । सचरित्तस्स उ भासा सचा मोसा उइयरस्स ॥२८३॥ णामंठवणासुद्धी दशसुद्धी अभावसुद्दी अ। एएसि पत्तेअंपावणा होइ कायचा ॥२८४॥ तिविहा उदवसुदी तबादेसओ पहाणे अ। तदवगमाएसो अणण्णमीसा हवइ सुद्धी ॥२८५॥ वण्णरसगंधफासे समणण्णा सा पहाणओ सुद्धी तत्व उसुकिल महरा उसमया चेव उकोसा ॥२८६॥ एमवभावसुद्धी तब्भावाएसओ पहाणे अतिब्भावगमाएसो अणण्णमीसा हवइ सुद्धी ॥२८७॥दसणनाणचरित्ते तवोबिसुजी पहाणमाएसो। जम्हा उ विसुदमलो तेण विसुद्धो हवइ सुदो ॥२८८॥ जं वकं वयमाणस्स संजमो सुज्झई न पुण हिंसा । न य अत्तकलसभावो तेण इदं वकसुदित्ति ॥२८९॥ बयणविभतीकुसलस्स संजमंमी समुजुयमइस्स। दुभासिएण हुजा हु विराहणा तत्थ जइअव्वं ॥२९०॥ वयणविभत्तिअकुसलो वओगयं बहुविहं अयाणतो। जइविन भासइ किंची न चेव ययगुत्तयं पत्तो ॥२९॥ वयणविभत्नीकुसलो वओगयं बहुविहं वियाणंतो। दिवसंपि भासमाणो तहावि वयगुत्तयं पत्तो॥२९२॥ पुर्व बुद्धीइ पेहिता, पच्छा वयमुयाहरे। अक्सुओ व नेतारं, बुद्धिमन्नेउ ते गिरा ॥ २९३॥ इइ सबकसुदीअज्झयणं ७॥ जो पुचिं उदिडो आयारो सो अहीणमइरित्तो। दुविहो अहोइ पणिही दवे भावे जनायब्बो॥२९४॥ दब्बे निहाणमाई मायपउत्ताणि चेव दब्बाणि। भाबिंदिअनोइंदिअ दुविहो उ पसत्य अपसत्यो॥२९५॥ सदेसु अरुवेस अ गंधेसु रसेसु तह य फासेसु । नवि रजइ नवि दुस्सइ एसा खलु इंदिअपणिही ॥२९६ ॥ सोइंदिअरस्सीहि उ मुक्काहिं सद्दमुच्छिओ जीयो । आइअइ अणाउनो सहगुणसमुट्टिए दोसे ॥२९॥ जह एसो सहेसुं एसेव कमो उ सेसएहिपि। चउहिपि इंदिएहिं रूचे गंधे रसे फासे ॥२९८॥ जस्स खलु दुष्पणिदिआणि इंदिआई तवं चरंतस्स।सो हीरइ असहीणेहिं सारही वा तुरंगहि ॥२९९॥ कोहं माणं मायं लोहं च महब्भयाणि चत्तारि । जो ऊंभइ सुद्धपा एसो नोइंदिअपणिही ॥३०॥ जस्सविज दुप्पणिहिआ हॉति कसाया तवं चरंतस्म । सो चालतवस्मीविय गयण्डाणपरिस्ममं कुणइ ॥३०१॥ सामन्नमणुचरंतस्स कसाया जस्स उकडा होति । मन्नामि उच्छुफरलं व निष्फलं तस्स सामन्नं ॥३०२॥ एसो दुविहो पणिही सुद्धो जइ दोसु तस्स तेसि च । एत्तो पसत्यमपमस्थ लवणमज्झत्थनिष्फन्नं ॥३०॥ मायागारवसहिओ इंदियनाईदिएहि अपसत्थो। धम्मत्था अ पसत्थो इंदियनोइंदियपणिही ॥३०४॥ अट्ठविहं कम्मरयं बंधइ अपसत्यपणिहिमाउत्तो। तं चेव खयेह पुणो पसन्धपणिही
समाउत्तो ॥३०५॥ दंसणनाणचरित्ताणि संजमो तस्स साहणडाए । पणिही पउंजियचो अणायणाई च वजाइं ॥३०६॥ दुष्पणिहिअजोगी पुण लंछिज्जइ संजमं अयाणतो । बीसत्यनिसटुंगोव्य कंटहाड़े जह ९३६९२७ श्रीदर्शवकालिक नियुक्ति
मुनि दीपरत्नसागर