________________ राई / खेतमि लोगनिकुड मंदरचूडा अ कृडाई // 361 // अइरित्त अहिगमासा अहिगा संवच्छरा अ कालंमि / भावे खओवसमिए इमा उ चूडा मुणेअत्रा // 362 // दब्वे दुहा उ कम्मे नोकम्मरई अ महदवाई। 18| भावरई नस्सेब उ उदए एमेव अरईवि॥ 363 // चकं तु पुष्वभणि धम्मे रइकारगाणि वक्काणि / जेणमिमीए तेणं रइक्कसा हवइ चूडा // 364 // जह नाम आउरस्सिह सीवणारेजेसु कीरमाणेसु। जंतणमपत्थकुच्छाऽऽमदोसविरई हिअकरी उ॥३६५॥ अट्टविहकम्मरोगाउरस्स जीअस्स तह तिगिच्छाए। धम्मे रई अधम्मे अरई गुणकारिणी होइ // 366 // सज्झायसंजमतवे वेयावच्चे अ झाणजांगे / जो रमइ नो रमइ अस्संजमम्मि सो वचई सिद्धिं // 367 // तम्हा धम्मे रइकारगाणि अरइकारगाणि उ (य) अहम्मे / ठाणाणि ताणि जाणे जाई भणिआई अज्झयणे // 368 // 01 // अहिगारो पवना चउविहो पिइअलिअज्झयणे। सेसाणं दाराणं अहक्कम फासणा होइ // 63 // (भाष्यम्) दब्वे सरीर भविओ भावेण य संजओ इहं तस्स / उम्गहिआ पग्गहिआ विहारचरिआ मुणेअव्वा // 369 // अणिएवं पहरिकं अण्णायं सामुआणि उंछं। अप्पोवही अकलहो विद्दारचरिया इसिपसत्था // 370 // छहिं मासेहिं अहीअं अज्झयणमिणं तु अजमणगेणं / उम्मासा परिआओ अह कालगओ समाहीए // 371 // आणंदर्भसुपायं कासी सिजंभवा तहिं थेरा। जसभहस्स य पृच्छा कहणा अ विजालणा संघ।।३७२।। इति दशवैकालिकनियुक्तिः श्रीभद्रबाहुस्वामिभिः कृता समाता // श्रीसिद्धक्षेत्रीयश्रीवर्धमानजैनागममंदिर रनमायानामियमादायकारिता शोधिता च तपोगच्छीयाचार्यानन्दसागरेण // श्रीवीरस्य संवत् 2467 आषाढकृष्णकादश्यां शनिवासरे। मुनि दीपरत्नसागर