________________ 2 RA fel तो पच्छा। पत्तं तवसंपादे पाज तु एगपक्खम्मि // 2 // परजाएँ सुतेण य चतुभंगो होति एगपक्खम्मि। पुवाहितवीसरिए पढमासति ततियभंगणं // 3 // सहस्सवि काय निच्छयओ किं कुलं व अकुलं वा ? / कालसभावममत्ते गारवलज्जाएँ काहिति // 4 // एसऽणुपालणकप्पो अहुणाऽणुण्णातों गंदिसुत्तेहिं। सिद्धो अणुनकप्पो णवरेगट्ठाणि वोच्छामि // 5 // किमणुन ? कस्सऽणुचा? केवतिकालं पवत्तियाऽणुला ?आयरियत्त सुतं वा अणुण्णवह जंतुसाणुला // ..179 // 6 // कस्सत्ती सीसस्स उ गुरुगुणजुत्तस्स होयऽणुष्णा उ। केवइकालपवित्ती आदिकरेणुसभसेणस्स // 7 // एगट्ठियाणि तीय उ गोशाइं हवंति नामधिज्जाई। वीसं तु समासेणं वोच्छामी ताणिमाई तु॥८॥ अणुण्णा उण्णामणा णमण णामणि ठवणा पभावणाँ विदा(ता)रे। तदुभयहिय मज्जाता कप्पे मम्गे य णाए य॥..१८०॥९॥ संगह संवर निजर थिरकरणमच्छेद जीव(त) बुड्ढिपयं। एपवरं चेव तहा वीस अणुण्णाइ णामाई॥..१८१ // 2620 // अणुणवत्तऽणुण्णा उण्णामिय ऊसियंति उष्णमणी। गिहिसाहूहिं णमिजइ तम्हा ऊ होइ नमणित्ति // 1 // सुतधम्मचरणधम्मे णामयती जेण णामणी तम्हा। ठविओ आयरियत्ते जम्हा उ तेण ठवणत्ति ॥२॥ठविओ गणाहिवत्ते होइ पभू तेण पभवों सोसिं। नाणादोणं होती पभयो पभुइत्ति एगट्ठा // 3 // आयरियत्ते पमविए तेण वियारो उ दिजइ गणो से। तदुभयहियति भन्नइ इहपरलोगे य जेण हियं // 4 // गणधरमेर धरेती जम्हा ऊ तेण होति मज्जादा। करणिज्जो कप्पोत्ति य कप्पो गणकप्प समणे(करणा)णं // 5 // नाणादि मोक्खमग्गो सुत्त(सो त)म्मि ठितोत्ति तो भवति मग्गो। जम्हा उ णायकारी णाओ वा एस तो णातो // 6 // दशे भावे संगहों दो आहारवस्थमादीहिं। भावे नाणादीहिंउ संगेहति संगहो तेण // 7 // दुविहेण संवरेणं इंदियनोईदिएहिं जम्हा उ। अप्याण गणं च तहा संवरयति संवरो तम्हा // 8 // गणधारणमगिलाए कुणमाणो निजरेइ कम्माई। अन्य निजरावे तम्हा ऊ निजरा होइ ॥९॥वाएरिता लता इव पकंपमाणाण तरुणमादीणं / होइ थिरावटुंभो तरुल थिरकरण तेणं तु // 2630 // जम्हा उ अवोच्छित्ती सो कुणई नाणचरणमाईणं। तम्हा खलु अच्छेदं गुणप्पसिद्ध हवति णामं // 1 // तित्यकरहिं कयमिणं गणधारीणं तु तेहिं सीसाणं / तत्तो परंपरेणं आयमिणं तेण जीयं तु // 2 // वड्डइ य नाणचरणे गणं तु जम्हा उ तेण वुढिपदं। पवरं पहाणमेयं सोसि रायदेवाणं // 3 // इति एसऽणुनकप्पो जहाविही वनिओ समासेण। ठवणाकप्पं एत्तो वोच्छामि अहाणुपुषीए॥४॥तिविहो ठवणाकप्पो कुले गणे वेव तह य संघे या एतेसि परूवणयं वोच्छामि अहाणुपुषीए // 5 // कुलथेरोहिंगणेण व जा मेरा ठाविता भवे नियमा। सो कुलठवणाकप्पो एवं गणे होइ संघे य॥..१८२॥६॥ केरिसया पुण थेरा कुलगणसंघाण होंति उ पमाणं? मण्णइसुणसू इणमो जेहिंगुणेहिं तु ते जुत्ता // 7 // कप्पाकप्पविहिष्णू सुत्तत्यविसारया सुतरहस्सा। जे चरणकरणजुत्ता ते सुद्धनयाण उपमाणं // 8 // कप्पाकप्पविहिष्णू सुत्तत्थविसारया सुयरहस्सा। जे चरणकरणहीणा ते सुदणयाण भइयथा ॥९॥नेयवा खलु क(अ)जा असती चरणटियाण थेराणं / हीणोवि सुयसमिद्धो मज्झत्यो होइ उ पमाणं॥२६४०॥ कह पुण ठाविनंते ते उ पमाणं तु तेसु ठाणेसु। कुलगणसंघा येरा ? भण्णइ इणमो निसामेहि // 1 // इच्छंकारनिउत्तो पियधम्मो तिण्ह कोइ एकतरो / सो होति तिगत्थेरो तिगचरित्तवियाणओ वी(धी)॥२॥ नाऊण गुणसमिदं जोगं तु कुलादिये रठाणस्स। काऊणिच्छाकारं कुलादिणो ति तो इणमो॥३॥ उम्भे होह पमाणं कुलचेरा धेरठाणजोगंतु। एवं तु कुलादीहिं तिगरा ऊ ठक्जिति // 4 // तिगचरितं जाणइत्ति चरित्त मज्जायमेव एगट्ठा / तं तु तहाविहि जाणा विण्हपि कुलादिठाणाणं // 5 // पासत्थोसन्नकुसीलठाणपरिरक्खतो दुपक्खेवि। सो होति तिगत्थेरो तिगोरगुणेहिं उक्उत्तो ॥६॥पासत्यादीठाणे ण वट्टती एस रक्खओ होइ / अहवा सति सद्धा(यसत्ती)ए पासत्थादीवि पालेइ // 7 // परिहजते रागादिरक्खिते साहुसाहुणिदुपक्खे। अहवा अप्पाण परे तिगथेरो संघरो उ॥८॥ एसो ऊ तिगयेरो तिगधेरगुणेहिं होति संपनो। अहुणा वीसुं वीसुं कुलादिथेरे पवक्खामि // 9 // चरणकरणे समग्गो जो जत्थ जदा कुलप्पहाणो उ। सो होइ कुलत्थेरो कुलचरियवियारओ धीरो॥२६५०॥ पांसत्योसन्नकुसीलठाणपरिरक्खतो दुपक्खेवि / सो होइ कुलत्थेरो कुलधेरगुणेहिं उबउत्तो // 1 // चरणकरणे समग्गो जो जस्थ जदा गणप्पहाणो उ। सो होइ गणत्यरो गणचरियबियाणओ वी(धी)रो // 2 // पासत्थोसन्नकुसीलठाणपरिरक्खओ तुपक्खेवि। सो होइ गणत्थेरो गणथेरगुणेहि उवउत्तो॥३॥ चरणकरणे समयमो जो जत्य जदा जुगप्पहाणो उ। सो होइ संघयेरो सीतघरसमो परिससीहो // 4 // एसो उ मूलसंघो आपुच्छणगमणकरणकजेसु। हितसुहनिस्सेसकडो कुलगणसंघऽपणो चेव // 5 // सणनाणचरिते जा पुछ परुवणाऽऽयरण कलगणसंघऽपणो चेव // 5 // ईसणनाणचरिते जा पृच्छ परुवणाऽऽयरणया य। एसो उ मलसंघो तिविहा बेरा करणजत्ता॥६॥ परिपि पर विज्जा आयारादीसु बन्मियचरिते। तं सम्ममायरंतो हवति तु संघो तहा थेरो॥७॥ जो सो हीणचरित्तो अण्णस्स असतीत पुवमणितो उ। कुलथेराति ठविज्जति तस्सुवदेसो इमो होइ // 8 // होज वसणसंपत्तो सरीरमार्यकता असहुओ वा / चरणकरणे असत्तो सुद्धं मग्गं परूविज्जा // .. 183 // 9 // वसणं वाजीमादी सूलजरादी तु होइ आतंको। धितिसारीरबलेणं हीणो असहू मुणेयत्रो // 2660 // एएहिं कारणेहिं अकप्पपडिसेवणं करेंतो उ / सुदं मग्ग परूवे अप्पाहणिया अओ एत्तो॥१॥ कप्पपणयस्स भेदा सोच्चा णचा तहेव घेत्तूणं / चरणकरणे विसुद्धे आयरणपरूवणं कुणह // 2 // आयरियसगासाओ सोचा णचा य घेत्तुमत्येणं। हियए क्वत्थयेउं आयरण परूवणा कुज्जा // 3 // कप्पपणगस्स भेदो परुविओ मोक्खसाहणवाए। जं चरिऊण सुविहिया करेंति दुक्खक्वयं धीरा // 4 // पंचविहसुत्तकप्पाण विभासा वित्वरं पमोत्तूणं / गहिया सीसहियट्ठा बोच्छित्तट्टया चेव // 2665 // (सव्वसुयसमूहमयी बामकरम्गहियपोत्थया देवी। जक्खकुहंडीसहिया देंतु अविग्धं भर्णताणं // 10 // ) जैनसाहित्यसुधापानपीनश्रीपुण्यविजयजीविहितादर्शादुत्कीर्णमिदं पंचकल्पच्छेदभाष्यं सिदावितलहहिकागतश्रीआगममंदिरे वीरविभोः 2469 मुनि दीपरत्नसागर 1114 पञ्चकल्पभाष्यं