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हसचिव) या कइ जो पवयणरहस्सं ॥ ९ ॥ पडिसेवकप्प एसो अरुणा वोच्छमणुवासणाकप्पं । अणुवास मासकप्पो वासावासो इमेसिं तु ॥ २५५०॥ जिण थेर अहालंदे परिहरिते अज मासकप्पो उ। खेने कालमुवस्सयपिंडाणे यमाणत्तं ॥ १ ॥ एएसिं पंचण्डवि अण्णोष्णस्स उ चउपदेहिं तु । खेत्तादीहिं विसेसो जह तह बोच्छं समासेणं ॥ २ ॥ णत्थि उ खित्तं जिणकप्पियाण उद्बद्ध मासकालो उ। वासासुं चउमासा वसही अममन अपरिकम्मा ॥ ३ ॥ पिंडो तु अलेवकडो गहणं तू एसणाहुवरिमाहिं । तत्थवि काउमभिग्गह पंचण्डं अण्णतरियाए ॥ ४ ॥ थेराण अस्थि खेत्तं तु उग्गहो जाब जोयण सकोसं । नगरे पुण बसहीए विकाले उदबुद्धि मासो उ ॥ ५ ॥ उस्सग्गेणं भ raat अववाणं तु हो अहिओषि। एमेव य वासासुवि चउमासो होज अहिओवि ॥ ६ ॥ अममत्त अपरिकम्मो उवस्सओ एत्थ भंग चउरो उ उस्सग्गेणं पढमो तिष्णि उ सेसाऽववादेणं ॥ ७॥ भत्तं लेवकडं वाऽलेवकडं वावि ते उ मेव्ईति। सतहिवि एसणाहिं साविक्खो गच्छवासोत्ति ॥ ८ ॥ अहलंदियाण गच्छे अप्पडिवद्वाण जह जिणाणं तु । वरं कालविसेसो उदुवासे पणगच उमासो ॥ ९ ॥ गच्छे पडिवद्वाणं अहलंदीणं तु अह पुण विसेसो । उग्गहो जो सिं तू सो आयरियाण आमवति ॥ २५६०॥ एगवसहीऍ पणगं छडीहीओ व गाम कुवंति। दिवसे दिवसे अण्णं अडंति वीहीइ नियमेणं ॥ १ ॥ परिहारविसुद्वीणं जहेब जिणकप्पियाण णवरं तु । आयंबिलं तु भतं गिव्हती बासकप्पं ॥ २ ॥ अजाण परिगहियाण उग्गहो जो उ सो तु आयरिए काले दो दो मासा उदुबद्धे तासि कप्पो उ ॥ छ० १६६ ॥ ३ ॥ सेसं जह थेराणं पिंडो व उवस्सओ य तह तासि । सो सोविय दुविहो जिणकप्पो थेरकप्पो य ॥ ४ ॥ जिणकप्पियऽहालंदियपरिहारविसुद्धियाण जिणकप्पो थेराणं अजाण य बोद्धवो थेरकप्पो उ ॥ ५ ॥ दुविहो य मासकप्पो जिणकप्पो चेव थेरकप्पो य निरणुग्गहो जिणाणं घेराण अणुग्गहपवत्तो ॥ ६ ॥ उदुवासकालतीते जिणकपण तु गुरुग गुरुगा य होति दिणम्मि दिनम्मी बेराणं ते चिय लहुओ (थिराण ते चिय लहुगडुगा) ॥ ७॥ तीसं पदावराहे पुट्ठो अणुवासियं अणुवसंतो जे जत्थ पदे दोसा ते तत्ययगो समावण्णे ॥ ८ ॥ पण्णरसुग्गमदोसा दस एस दोस एते पणुवीसं संजोयणादि पंच य एते तीसं तु अवराहा ॥ ९॥ एएहिं दोसेहिं जइ असंपत्ति लगती तहवि दिवसे दिवसे सो खलु कालातीते वसंतो उ ॥ २५७० ॥ वासावासपमाणं आयारे उप्पमाणितं कप्पं एवं अणम्यंनो जाण अणुवासकणं तु ॥ १ ॥ आयारपकप्पम्मी जह भणितं तीति संवसतोवि होइ अणुवासकप्पो तह संवसमाणऽदोसा उ ॥ २ ॥ दुविहे विहारकाले वासावासे तहेब उदुबद्धे मासानीने अणुवहि वासातीने भवे उवही ॥ ३ ॥ उदुनदिए अतीते तत्थ वास ण उ कप्पे घेत्तृणं उवही खलु वासातीतेसु कप्पति तु ॥ ४॥ वासउदु अहालंदे इत्तरि साहारणे पुहुत्ते य उग्गहसंकमणं वा अण्णोण्णसकास हिज्जते ॥ १७७॥५॥ वासासु चउम्मासो उदुबद्धे मासो लंद पंच दिणा । इतरिउ रुक्खमूले बीसमणट्ठा ठिताणं तु ॥ ६॥ साहारणा उ एते समट्टि (मगठि) याणं बहूण गच्छाणं एकेणं परिगहिया सने बोहित्तिया होंति ॥ ॥ संक्रमणमण्णमण्णस्स सकासे जइ उ ते अधीयते। सुत्तन्धतदुभयाई सबै अहवावि पडिपुच्छे ॥ ८ ॥ ते पुण मंडलियाए आवलियाए व तं तु गिव्हेजा मंडलियमहिजंते सचित्तादी उ जो लाभो ॥ ९ ॥ सो उ परंपरएणं संकामति ताव जाव सट्टाणं जहियं पुण आवलिया तहियं पुण अंतरे ठानि ॥ २५८० ॥ ते पुण ठित एकाए वसहीए अहव पुप्फकिष्णा । अहह्वावि उ संक्रमणे दक्षस्सिमो विही अण्णो ॥ १ ॥ सुतत्थनदुभयविसारयाण थोवे अ संतईभेदे संकमणदश्मंडलिआवलियाकप्पअणुवासा ॥ २ ॥ पुछट्टिताण खित्ते जदि आगच्छेज अण्ण आयरिओ। बहुसुय बहुआगमिओ तस्स सगासम्म जड़ खेती ॥ ३ ॥ किंचि अहिजेजाही थोवं खेत्तं च तं जदि हविज्जा ताहे असंथरता दोण्णिऽवि साहू विसज्जैति ॥ ४ ॥ अण्णोष्णस्स सगासे तेसिंपिय तन्थ विजमाणा । आभवणा तह चेव य जह भणियमणंतरे सुत्ते ॥ ५ ॥ एवं निवाघाते मास चउम्मासिओ उ घेराणं कप्पो कारणओ पुण अणुवासो कारणं जाव ॥ ६ ॥ एसऽणुपासणकप्पो अहुणा अणुपालणाएं कप्पं तु संखेवसमृद्दि वोच्च्छामि अहं समासेणं ॥ ७॥ मोहतिमिच्छाएं गते गट्टे खेत्तादि अहव कालगते आयरिए तम्मि गणे पीन्ादिरक्खणट्टाए ॥१७८॥ ल० १६७७८॥ को उगणी लवणिजो ? भण्णइ जइ तस्स कोति सीसो उ सुत्तत्थतदु भएहिं जिम्माओ सो ठवेयो ॥ ल० १६८ ॥ ९ ॥ असतीय तस्स ताहे ठावेया कमेणिमेणं तु पञ्चज्ज कुले नाणे खेत्ते सुहदुक्खि सुत सीसे । ल० १६९ ।। २५९० ॥ गुरुगुरु गुरुणं तू वा गुरुसज्झिलओ व तस्स सीसो या पत्र गपक्खी एमादी होइ णायवो ॥ १ ॥ असतीऍ कुलिचो वा तस्सऽसतीए सुएगपक्खीओ खेते उवसंपण्णे तस्सऽसतीए ठवेयवो ॥ २ ॥ सुहदुक्खियस्स असती तस्सऽसतीए ओवसंपण्णो। एवं तु वियाण नहिं सीसम्मि उ मग्गणा नत्थि ॥ ३ ॥ पाडिच्छगणधरे पुण ठविए तहियं तु मग्गणा इणमो सुत्तत्थमहिज्जेते अणहिज्जते इमे विभागा ॥ ४ ॥ साहारणं तु पढमे चितिए खेत्तम्मि ततिएँ सुहदुक्खे। अणहिज्जते सीसे सेसे एकारस विभागा ॥ ५ ॥ द्विगणस् उ पच्छुद्धिं पवाययंतस्स । संवच्छरम्मि पढमे पडिच्छए जं तु सच्चित्तं ॥ ६ ॥ पूर्वपच्छुदिट्टे पढिच्छए जं तु होइ सच्चित्तं संवच्छरम्मि चितिए तं सत्र पवाययंतस्स ॥ ७ ॥ पुत्रं पच्छुहिडे सीसम्मि उ जं तु होइ सचित्तं संवच्छरम्मि पढमे तं स गणस्स आभवति ॥ ८ ॥ बुद्दिगणस्सवि पच्छुदिई पवाययंतस्स संच्छरम्मि वितिए सीसम्मि तु जं तु सचितं ॥ ९ ॥ पच्छुट्टेि सीसम्मि तु जं तु होति सच्चित्तं संवच्छरम्मि ततिए ने सब पवाययंतस्स
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॥ २६०० ॥ पुडुहिडे गच्छे पच्छुद्दि पवाययंतस्स संच्छरम्मि पढमे सिस्सिणीए जं तु सचित्तं ॥ १ ॥ पुर्वपच्छुदिडे सिस्सिणीए जं तु होइ सचित्तं संवच्छरम्मि चितिए तं सत्र पवाययंतस्स ॥ २ ॥ पच्छुद्दि पडिच्छियाए उ जं तु सचित्तं संवरम्मि पढमे तं सब पवाययंतस्स ॥ ३ ॥ खेत्तुवसंपायरिओ सुहदुक्खी चेव जति तु संठविओ कुलगणसंघियो वा तस्स इमो होति उ विवेगो ॥ ४ ॥ संवराणि ति (दु) नि उ सीसम्मि पडिन्छयम्मि तद्दिवसं एवं कुलिश्चगणिचे संवच्छर संघ छम्मासा ॥ ५ ॥ तत्थेव य जिम्माए अनिग्गए निम्गए इमा मेरा सकुले तिमि तियाई गणदुग संवच्छरं संघे ॥ ६ ॥ ओमादिकारणेहिं दुम्मेहतेण वाण निम्माए काऊण कुलसमायं कुलधेरे वा उबहेति ॥ ७ ॥ णव हायणाई ताहे कुलं तु सिक्खाबए पयत्तेण श य किंचि तेसि गिन्हइ गणो दुगं एग संघो उ ॥ ८ ॥ एवं तु दुवालसहिं समाहि जति तत्थ कोइ निम्माओ ता ति अणिम्माए पुणो कुलादी उबडाणा ॥ ९ ॥ तेणेव कमेण तू पुणी समाओ हवंति बारस उ निम्माए विहरंती इहर कुलादी पुणोवद्वा ॥ २६१०॥ तद्द्विय बार समाओ निम्माओ सो सि गणहरो होइ। तेण परमनिम्माए इमा विही होइ तेसि तु ॥ १ ॥ छत्तीसाइकंते पंचविहुवसंपदाएं १११३ पञ्चकल्पभाष्ये मुनि दीपरत्नसागर
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PELAAJAR.