________________ | यदिट्टो सम्गाइमम्गो कहवि लदो // 2 // माणुस्सदेसकुलकालजाइइंदियवलोक्याणं च। विनाणं सद्धा दंसणं च दुलहं सुसाहूर्ण // 3 // पत्तेसुवि एएसु मोहस्सुदएण दुलहो सुपहो। कुपहबहुयत्तणेण य विसयमहार्ण च लोमेण // 4 // सो य पहो उवलदो जस्स जए बाहिरो जणो बहुओ। संपत्तिश्चियन चिरं तम्हा न खमो पमाओ भे॥५॥ जह जह बढप्पाण्णो समणो बेरम्गभावणं कुणइ। तह तह असुमं आयवयं व सीय खयमुवेइ // 6 // एगअहोरत्तेणवि दढपरिणामो अणुत्तरं जंति। कंडरिओ पुंडरिओ अहरगईउड्ढगमणेसु ॥७॥बारसवि भावगाओ एवं संखेवओ समत्ताओ।भावमाणो जीवो जाओ समुवेइ वेरगं॥८॥भाविज मावणाओ पालिज वयाई रयणसरिया(सा)ई। पडिपुण्णपावखवणे अइरा सिदिपि पाचिहिसि // 9 // कत्थइ मुहं सुरसमं कत्था निरओवर्म हवइ दुक्खं / कत्था तिरियसरित्थं माणुसजाई बहुविचित्ता॥६४०॥ वठूणवि अप्पसुहं माणुस्स गदोस(सोग)संजुत्तं / सुठुवि हियमुवइट्ठ कर्ज न मुणे मूढजणो // 1 // जह नाम पट्टणगआ संते मुलुमि मूढभावेण / न लहंति नरा लाई माणुसमावं तहा पत्ता // 2 // संपत्ते बलविरिए सम्भावपरिक्खणं अजाणता। न लहंति नरा बोहिं बुग्गहमगं च पावंति // 3 // अम्मापियरो भाया भज्जा पुत्ता सरीर अत्यो य। भवसागरंमि घोरे न ९ति ताणं च सरणं च // 4 // नवि माया नविय पिया न पुत्तदारा न चेव बंधुजणो। नविय धणं नवि धनं दुक्खमुह उवसमेति // 5 // जइया सयणिज्जगओ दुम्वत्तो सयणबंधुपरिहीणो। उत्तइ परियत्तइ उरगो जह अम्गिमजसंमि // 6 // अगुइ सरीरं रोगा जम्मणसयसाहणं हा तण्हा / उहं सीयं वाओ पहाभिघाया याणेगविहा // 7 // सोगजरामरणाई परिस्समो दीणया य दारिदं / तहय पियविप्पओगा अप्पियजणसंपओगा य // 8 // एयाणि य अण्णाणि अ माणुस्से बहुविहाणि दुक्खाणि / पचक्खं पेक्वंतो को न मरइ तं विचिंततो?॥९॥ लणवि माणुस्सं सुदुलहं केइ कम्मदोसेणं / सायासुहमणुरत्ता मरणसमहेऽवगाडिति // 650 // तेण उहलोगसुहं मोत्तृणं मा(माणसंसियमईओ।विरतिक्खमरणऽभीरू लोगसुईकरणदोगुंछी॥१॥ दारिहरखवेयणवह विहसीउण्हखप्पिवासाण। अरईभयसोगसामियतकरम्भिक्खमरणाई // 2 // एएसि तु दुहाणं जं पडिवक्खं सुहति तं लोए। जं पुण अचंतसुहं तस्स परुक्खा सया लोया // 3 // जस्स न छुहा ण तण्हा न य सीउण्हं न दुक्खमुकिट्ठ। न य असुइयं सरीरं तस्सऽसणाईसु किं कर्ज ? // 4 // जह निवदुमुप्पन्नो कीडो कडुयंपि मन्नए महुरं। तह मुक्खसुहपरुक्खा संसारदुहं सुहं चिंति // 5 // जे कडुयदुमुप्पन्ना कीडा वरकप्पपायवपक्खा / तेसिं विसालवल्ली विसं व सम्गो य मुक्खो य // 6 // तह परतित्थियकीडा विसयविसंकुरविमूढदिट्ठीया। जिणसासणकप्पतरुवरपारुक्खरसा किलिस्संति // 7 // तम्हा सुक्खमहातरुसासयसिवफलयसुक्खसत्तेणं / मोत्तूण लोगसणं पंडियमरणेण मरियचं // 8 // जिणमयभाविअचित्तो लोगसुईमलविरेयणं काउं। धम्ममि तओ झाणे सुके य मई निवेसेह // 9 // सुणह-जह जिणवयणामय(रस) भावियहियएण झाणवावारो। करणिज्जो समणेणं जं झाणं जेसु झायचं // 660 // इति संले(आरा)हणासुयं // एवं मरणविभत्ति मरणविसोहिं च नाम गुणरयणं / मरणसमाहीतइयं सलेहणसुयं चउत्थं च // 1 // पंचम भत्तपरिण्णा छ8 आउरपश्चखाणं चासत्तम महपञ्चखाणं अट्ठम आराहणपइष्णो॥२॥ इमाउ अट्ठसुयाओ भावे गहियंमि लेस अत्थाओ।मरणविभत्तीरइयं विय नाम मरणसमाहिं च // 663 // सू०२०,१८९८ गाथाः // सिरिमरणविभत्तिपइण्णय १०॥श्रीप्रकीर्णकदशकं श्रीका सिदाद्रितलहडिकागतशिलोत्कीर्णसकलागमोपेतश्रीवर्धमानजैनागममंदिरे शिलायामुत्कीर्ण शोधितं च तपोगच्छीयाचार्यानन्दसागरेणावीरस्य२४६८गतेप्वब्देषु भाद्रशुकचतुर्दश्याम् // SICमरण समिकर्षक, RET-532-43 मुनि दीपरत्नसागर