________________
अन्नो । इय मे अन्नो जीवो अनो देहुत्ति मन्निजा ॥ १ ॥ पुजावरदाहिण उत्तरेण वाएहिं आवडतेहि। जह नवि कंपइ मेरू तह झाणाओ नवि चलति ॥ २ ॥ पढमम्मिय संघयणे व सेलकुड्डसामाणे । तेसिंपिय बुच्छेओ चउदसपुत्रीण बुच्छेए ॥३॥ पुढविदगअगणिमारुयतरुमाइ तसेसु कोइ साहरइ। वोसद्वचत्तदेहो अहाउअं तं परि ( डि) क्खिज्जा ॥४॥ देवो नेहेण गए देवागमणं च इंदगमणं वा। जहियं इड्ढी कंता समुहा हुंति सुहभावा ॥ ५॥ उवसग्गे तिविहेविय अणुकूले चैव तह य पडिकूले। सम्मं अहियासतो कम्मक्खयकारओ होइ ॥ ६ ॥ एवं पाओवगमं इंगिणि पडिकम्म वष्णियं सुत्ते । तित्थयरगणहरेहि य साहूहि य सेवियमुयारं ॥ ७ ॥ सत्रे सङ्घदाए सङ्घ सङ्घकम्मभूमीसु सजगुरू सहिया सबै मेसु अहिसिना ॥ ८ ॥ साहिवि लदीहिं सवेऽवि परीसहे पराइत्ता सवेऽचिय तित्थयरा पाओवगया उसिद्धिगया ॥ ९॥ अवसेसा अणगारा तीयपडुप्पन्नऽणागया सवे केई पाओवगया पञ्चकखाणि गिणि केई || ५४० ॥ सावि अ अज्जाओ सचेऽवि य पढमसंघयणवज्जा सङ्के व देसविरया पञ्चक्खाणेण य मरंति ॥ १ ॥ सङ्घसुहप्पभवाओ जीवियसाराओ सहजणिगाओ। आहाराओ रयणं न विजए उत्तमं लोए ॥ २ ॥ विग्गहगए य सिद्धे मुत्तुं लोगम्मि जे मिया जीवा सधे सावत्थं आहारे हुंति आउत्ता ॥३॥ तं तारिसगं रयणं सारं जं सबलोयरयणाणं सहं परिबत्ता पाओवगया परि(चि) हरंति ॥ ४ ॥ एवं पाओवगमं निप्पडिकम्मं जिणेहिं पन्नत्तं तं सोऊणं खमओ ववसायपरकमं कुणइ ॥ ५ ॥ धीरपुरिसपण्णने सप्पुरिसनिसेविए परमरम्मे । घण्णा सिलायलगया निरावयक्खा णिवति ॥ ६ ॥ सुवंति य अणगारा घोरासु भयाणियासु अडवीमुं। गिरिकुहरकंदरासु य विजणेस य रुक्लहेसुं ॥ ७॥ धीधणियवदकच्छा भीया जरमरणजम्मणसयाणं । सेलसिलासयणत्था साइंति उ उत्तमट्ठाई ॥ ८ ॥ दीवोदहिरण्णेसु य खयरावहियासु पुणरविय तासु कमलसिरीमहिलादिसु भन्नपरिक्षा कया श्रीसु ॥ ९ ॥ जइ ताब साल्या कुलगिरिकंदरविसमकडगदुग्गासुं। साहिति उत्तमहं धिधणियसहायगा धीरा ॥ ५५० ॥ किं पुण अणगारसहायगेण अण्णुझसंगह बलेणं। परलोए य न सक्का साहेउं अप्पणी अहं ? ॥ १ ॥ समुइन्नेसु य सुविहिय! उवसग्गमहन्मएस विविहेसु हियएण चिंतणिज्जं रयणनिही एस उवसग्गो ॥ २ ॥ किं जायं जइ मरणं अहं च एगाणिओ इहं पाणी। वसिओऽहं तिरियते बहुसो एगागिओ रणे ॥ ३ ॥ वसिऊणऽवि जणमज्झे बच्चइ एगागिओ इमो जीवो। मुत्तूण सरीरघरं मच्चुमुहा कडिओ संतो ॥ ४ ॥ जह बीहंति य जीवा विविहाण वि हासियाण एगागी। तह संसारगएहिं जीवेहिवि हंसिया असे ॥ ५ ॥ सावयभयाभिभूआ बहुसु अडवी निरभिरामासु। सुरहिहरिणमहिसस्यरकरवोडियमक्खछायासु ॥ ६ ॥ गयगवयखग्गगंडयत्रग्घतरच्छच्छ भचरियासु । भकिकंकदीवियसंचरसन्भावकिण्णासुं ॥ ७॥ मत्तगदनिवाडियभिलपुलिंदाविकुंडियवणासुं । वसिओऽहं निरियते भीसणसंसारचारम्मि ॥ ८ ॥ कत्थ य मुद्धमिगत्ते बहुसो अटवीस पयइविसमासु बग्धमुहावडिएणं रसियं अइभीयहियएणं ॥ ९ ॥ कत्थइ अइदुक्खिो भीसणविगरालघोरवयणोऽहं । आसि महंबिय वरघो रुरुमहिसवराहविद्दवओ ॥ ५६० ॥ कत्थइ दुधिहिएहिं रक्खसवेयालभूयरूवेहिं छलिओ बहिओ य अहं मणुस्सजम्मम्मि निस्सारो ॥ १ ॥ पयइकुडिलम्मि कन्थड संसारे पाविऊण भूयतं । बहुसो उब्वियमाणो मएवि बीहाविया सत्ता ॥ २ ॥ विरसं आरसमाणो कत्थई रण्णेसु घाइओ अह्यं । सावयग्रहणम्मि वणे भयभीरू खुभियचित्तोऽहं ॥ ३ ॥ पत्तं विचित्तविरसं दुक्खं संसारसागरगएणं । रसियं च असरणेणं कथंतदंतंतरगएणं ॥ ४ ॥ तइया कीस न हायड़ जीवो जइया सुसाणपरिविद्धं भकिकंकवायससएम ढोकिलए देहं ॥ ५ ॥ ता तं निजिणिऊणं देहं मुत्तूण बचाए जीवो। सो जीवो अविणासी भणिओ तेलुकदंसीहिं ॥ ६ ॥ तं जइ ताव न मुञ्चइ जीवो मरणस्स उनियंतोऽवि । तम्हा मज्झ न जुज्जइ दाऊण भयम्स अप्पार्ण ॥ ७ ॥ एवमणुचिंतयंता सुविहिय! जरमरणभावियमईया पार्वति कयपयत्ता मरणसमाहिं महाभागा ॥ ८ ॥ एवं भावियचित्तो संधारवरंमि सुविहिय! सयावि भावेहि भावणाओ वारस जिणवयणदिट्ठाओ ॥ ९ ॥ इह इत्तो चउरंगे चउत्थमगं (मंगं) सुसाधम्मम्मि बने भावणाओ बार सिमो बारसंगधिऊ ॥ ५७० ॥ समणेण सावएण य जाओ निचंपि भावणिजाओ। दढसंवेगकरीओ विसेसओ उत्तमम्मि ॥ १ ॥ पढमं अणिचभावं असरणगं एगयं च अन्नन्तं संसारमसुभयाविय विविहं लोगस्सहावं च ॥ २ ॥ कम्मम्स आसवं संवरं च निजरणमुत्तमे य गुणे । जिणसासणस्मि मोहिं च दुइहं चितए मइमं ॥ ३ ॥ सबाणाई असासयाई इह चैव देवलोगे य सुरअसुरनराईणं रिदिविसेसा सुहाई वा ॥४॥ मायापिडंहिं सहवडिएहिं मित्नेहिं पुत्तदारेहिं एगयओ सहवासो पीई पणओऽविय अणिचो ॥ ५॥ भवणेहिं व वणेहि य सयणास जाणवाहणाईहिं। संजोगोऽवि अणिच्चो तह परोगेहि सह तेहि ॥ ६ ॥ बलवीरियरूवजोवणसामग्गीसुभगया वपुसोभा देहस्स य आरुम्गं असासयं जीवियं चैव ॥ ७॥ जम्मजरामरण भए अ (ह) भिद्दुए विविवाहितत्ते लोगम्मि नन्थि सरणं जिणिदवरसासणं मुत्तुं ॥ ८ ॥ आसेहि य हत्थीहि य पवयमित्तेहिं निश्चमित्तेहिं सावरणपहरणेहि य बलवयमतेहिं जोहेहिं ॥९॥ महया भडचडगरपहकरेण अवि चकवट्टिणा मच्चू न य जियपु के नीलेावि लोगं ॥ ५८० ॥ विविहेहि मंगलेहि य विज्जामंतोसहीपओगेहिं । नवि सका तारे (ए) उं मरणा गवि रुण्णसोएहिं ॥ १ ॥ पुत्ता मित्ता य पिया सयणो बंधवजणो य ९४६ मरणसमाधिप्रकीर्णक, आला-५३१- पर
1
1
मुनि दीपरत्नसागर