________________ | बलोहे मयच्छीणं ॥४॥षणमालाओव दुरुन्नमंतसुपओहराउ बढ्दति / मोहविसं महिलाओ आलएकविसंव पुरिसस्स // 5 // परिहरसु तओ तासिं दिदि विट्ठीविसस्स व अहिस्स। जं रमणिनयणबाणा चरित्तपाणे विणासंति // 6 // महिलासंसग्गीए अग्गीइव जं च अप्पसारस्स। मयणंव मणो मुणिणोऽवि हंत खणेणं चिअ विलाइ // 7 // जइबि परिचत्तसंगो तवत. राणअंगो तहावि परिवडइ / महिलासंसम्गीए कोसाभवणूसिया रिसी // 8 // सिंगारतरंगाए विलासवेलाइ जवणजलाए। पहसिअफेणाइ मुणी (प्र. के के जयंमि परिसा) नारिनईए न बुइडंति ? // 9 // विसयजलं मोहकलं बिलासवियोअजलयराइन्न / मयमयर उत्तिमा तारुण्णमहन्नव धीरा॥१३०॥ अम्भितरवाहिरए सो संगे (म० गंथे) तुमं विवजेहि। कयकारिअणुमईहिं | किलेससयकरए निचं // 1 // संगनिमित्तं मारइ भणइ अलीअं करे चोरिक। सेवइ मेहुण मुच्छं अप्परिमाणं कुणइ जीवो ॥शा संगो (प्र० गंथो) महाभयं जं विहेडिओ सावएण संतेणं / पुत्तेण हिए अत्थंमि मणिवई कुंचिएण जहा // 3 // सवगंधविमुक्को सीईभूओ पसंतचित्तो या जं पावइ मुत्तिसुहं न चक्कवट्टीवि तं लहइ // 4 // निस्साहस्सेह महत्वयाई अक्खंडनिवणगुणाई। उबहम्मति य ताई नियाणसाडेण मुणिणोऽवि // 5 // अह रागदोसगम्भं मोहम्गम्भं च तं भवे विविहं / धम्मत्थं हीणकुलाइपत्थणं मोहगभं तं // 6 // रागेण गंगदत्तो दोसेणं विस्सभूइमाईआ। मोहेण चंडपिंगलमाईआहुति दिवता // 7 // अगणिअ जो मुक्खसुहं कुणइ निआर्ण असारसहहे। सो कायमणिकएर्ण वेरुलिअमणिं पणासेह ॥८॥दकरखकखय कम्म कुखय समाहिमरणं च बोहिलाभो अ। एअं पत्थेअव्वं न पत्थणिज्ज तओ अन्नं // 9 // उज्झिअनिआणसल्लो निसिभत्तनिअत्तिसमिइगुत्तीहिं। पंचमहायरक्खं कयसिवसुक्खं पसाहेइ // 14 // इंदिअविसयपसत्ता पति संसारसायरे जीवा। पक्खिव छिनपक्खा मुसीलगुणपेहुणविहूणा // 1 // न लहइ जहा लिहतो मुहितिअं अडिअं रसं सुणओ।सोसइ(य)तालुअरसिर्ज बिलिहतो मन्नए सुक्खं // 2 // महिलापसंगसेवी न लहइ किंचिवि मुहं तहा पुरिसो। सो मन्मए बराओ सयकायपरिस्समं सुक्खं // 3 // सुठुबि मम्गिजतो कत्थवि केलीइ नत्थि जह सारो। इंदिअविसएसु तहा नस्थि सुहं सुदृढ़वि गविट्ठ // 4 // सोएणं पवसिअपिआ चकखूराएण माहुरो वणिओ। घाणेण रायपुत्तो निहओ जीहाइ सोदासो // 5 // फासिदिएण दुट्ठो नहो सोमालिआमहीपालो। इकिकेणवि निहया किं पुण जे पंचसु पसत्ता ? // 6 // विसयाविकखो निवडइ निरविकसी तरह दुत्तरभवोहं / देवीदेवसमागयभाउयजुअलं व भणिअंच (प० जिणवीरविणिहिट्ठो दिटुंतो बंधुजुयलेण) // 7 // छलिआ अवयकखंता निरावयाला गया अविग्घेणं / तम्हा पवयणसारं निरावयकखेण होअ॥८॥ विसए अवयक्खता पडंति संसारसायरे घोरे। विसएसु निराविक्खा तरंति संसारकतारं // 9 // ता धीर ! धीवलेणं दुदंते दममु इंदियमईदे। तेणुक्खयपडिवक्रवो हराहि आराहणपडागं // 150 // कोहाईण विवागं नाऊण य तेसि निग्गहेण गणे। निग्गिण्ह तेण सुपरिस ! कसायकलिणो पयत्तेणं // 1 // अतिक्खं वक्खं जं जं च सह उत्तम कोहेण नंदमाई निया माणेण फरसुरामाई। मायाइ पंडरज्जा लोहेणं लोहनंदाई // 3 // इय उवएसामयपाणएण पल्हाइअम्मि चित्तंमि। जाओ सुनित्रुओ सो पाऊण व पाणियं तिसिओ॥४॥ इच्छामो अणुसढि भंते ! भवपंकतरणदढलडिं। जं जह उत्तं तं तह करेमि विणओणओ भणइ // 5 // जइ कहवि असुहकम्मोदएण देहम्मि संभवे वियणा / अहवा तण्हाईया परीसहा से उदीरिजा // 6 // निदं महुरं पल्हायणिजहिअयंगमं अणलियं च। तो सेहावेजो सो खवओ पार्वतेणं // 7 // संभरसु सुअण! जंतं मजसंमि चउविहस्स संघस्स। बुढा महापइना अयं आराहइस्सामि // 8 // अरिहंतसिद्धकेवलिपश्चर्ख सवसंघसक्खिस्स। पचक्खाणस्स कयस्स भंजणं नाम को कुणइ ? // 9 // भालुकीए करुण खजंतो घोरवियणत्तोPasवि। आराहणं पवनो झाणेण अवंतिसुकुमालो // 160 // मुग्गिालगिरिमि सुकोसलोऽवि सिद्धत्थदइअओ भयचं। वग्धीए खज्जतो पडिवो उत्तम अहूँ // 1 // गुढे पाओवगओ सुबंधुणा 1 गोमए पलिविअम्मि। हुज्झतो चाणको पडिवत्रो उत्तम अटुं // 2 // अवलंबिऊण सत्तं तुमंपि ता धीर! धीरयं कुणम् / भावेसु य नेगुन संसारमहासमुदस्स ॥३॥जम्मजरामरणजलो अणाइम बसणसावयाइन्नो। जीवाण दुक्खहेऊ कर्ट रुदो भवसमुहो॥४॥ धनोऽहं जेण मए अणोरपारंमि भवसमुहम्मि। भवसयसहस्सदुलह लद्धं सम्मजाणमिणं // 5 // एअस्स H पभावेणं पालिजंतस्स सह पवनेणं / जम्मतरेऽपि जीवा पावंति न दुक्खदोगचं // 6 // चिंतामणी अउचो एअमपुछो य कप्परुक्खुत्ति। एवं परमो मंतो एयं परमामयसरिच्छ॥७॥ अह मणिमंदिरमुंदरफुरतजिणगुणनिरंजणुजोओ। पंचनमुकारसमे पाणे पणओ विसजेइ // 8 // परिणामविसुद्धीए सोहम्मे सुरवरी महिड्ढीओ। आराहिऊण जायइ भत्तपरिनं जहन सो॥९॥ उक्कोसेण गित्यो अचुअकप्पंमि जायए अमरो। निधाणसुहं पावइ साहू सबट्टसिद्धिं वा॥१७०॥ इअजोईसरजिणवीरभद्दमणिआणुसारिणीमिणमो। भत्तपरिन्नं धन्ना पति निसुणंति भावेति // 1 // सत्तरिसयं जिणाण व गाहाणं समयखित्तपन्नतं। आराहतो विहिणासासयसुक्खं लहइ मुक्खं // 172 // (1-447) इति भत्तपरिन्नापइण्णं समत्तं 4 // 016-10