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की भक्ति करें । तप और स्वाध्याय से अपने आप को जोड़ें, यह हुआ नियम । व्यक्ति ध्यान में एक घंटे स्थिरतापूर्वक बैठ सके, इसके लिए जरूरी है कि व्यक्ति योगासन - व्यायाम अवश्य करे ताकि उसके शरीर की जड़ता टूटे और उसे स्फूर्ति की प्राप्ति हो ।
शरीर की जड़ता को तोड़ने के लिए हर व्यक्ति योगासन सम्पादित करे। मैं कहना चाहूँगा कि आसन और योगासन को हम उतना ही मूल्य दें जितना कि भोजन करने को मूल्य और महत्त्व देते हैं । रोग काटने की दवा आदमी के हाथ में है बशर्ते आदमी प्रतिदिन योगासन करे। लोग एक घंटा ढंग से बैठ भी नहीं पाते। मैं तो कहूँगा कि जितनी तन्मयता से बैठकर आप मुझे सुनते हैं, उतनी तन्मयता से ध्यानयोग को साधें । तन्मयता ही ध्यानयोग की सीढ़ी है। आप जरा देखिए कि लोग यहाँ कितनी शांति और तन्मयता से सुनते हैं। हजारों लोग यहाँ उपस्थित हैं फिर भी दशहरा मैदान में एक सुई भी गिर जाए, तो आवाज आ जाएगी। ऐसी ही तन्मयता ध्यानयोग के साथ होने लगे, तो योग जीवन के लिए किसी चमत्कारी परिणाम का आधार हो सकता है
एक घंटे तक स्थिरता हो, जप में, ध्यान में बैठ सकें, इसके लिए योगासन जरूर कीजिए। अपने शरीर की जड़ता, प्रमाद और तंद्रा को तोड़ने के लिए योगासन प्रथम अनिवार्यता है । हम अपनी साँसों को जो प्राणवायु भीतर-बाहर आ-जा रही है उस आती-जाती प्राणवायु को, को, शुद्ध ऑक्सीजन को पूरे शरीर में संचारित करने के लिए प्राणायाम करते हैं । अर्थात् ली जा रही तथा छोड़ी जा रही साँस को एक ऐसी प्रक्रिया दी जाती है कि वह साँस, वह प्राणवायु हमारे पूरे शरीर में संचारित और प्रभावी हो, हमारे रक्त में, हमारी धमनियों में हमारी नाड़ियों में शुद्ध प्राणवायु संचारित हो और अशुद्ध प्राणवायु, कार्बन-डाई-ऑक्साइड का बाहर विरेचन हो, यही प्राणायाम है |
शरीर की स्वस्थता के लिए योगासन जितना लाभप्रद है, प्राणायाम
बेहतर जीवन के लिए, योग अपनाएं
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