________________
अपनी सोच और अपने विचारों को हर हाल में सौम्य, आनन्दमयी चेतना से सराबोर रखने के लिए इस दुनिया का सबसे बेहतरीन जो सूत्र है वह है, 'सकारात्मक सोच' । मैं इसे सार्थक जीवन का पहला और आखिरी मंत्र मानता हूँ । यह सोच का वह तरीका है, कि जिसे हम हर हाल में सकारात्मक बनाए रख सकें। इससे बढ़कर हमारे जीवन का और कोई श्रेष्ठ कदम नहीं हो सकता। कोई अगर मुझसे पूछे कि जीवन में स्वस्थ और सदाबहार, मधुर और प्रसन्न रहने का कौन-सा महामंत्र है, तो मैं सहजता से कहूँगा, 'सकारात्मक सोच’। यह जीवन को बेहतर जीने का पहला महामंत्र है । आप गायत्री मंत्र जपते हैं, जप्पू जी जपते हैं । नवकार मंत्र का जाप भी जपते हैं। आप ये सब जरूर जपिए। इन जपों से मेरा कोई विरोध नहीं है। मैं मंत्र-सुमिरण का समर्थक हूँ । पर इस बात पर गौर कीजिए कि क्या कहीं हमारे चित्त में, हमारे दिमाग में, नकारात्मकताएँ तो नहीं घुस रही हैं? तुम एक जप और करो और वह यह है कि हर हाल में अपनी सोच को सकारात्मक बनाए रखो ।
मेरा मंत्र है सकारात्मक सोच । मैं इस मंत्र का सहज अनुष्ठाता हूँ । और जप के लिए बैठक लगानी पड़ती है, खुद को तपाना पड़ता है। मैं जिस मंत्र की बात कर रहा हूँ उसमें करना कुछ भी नहीं है, केवल मानसिकता बनानी होती है । मेरा मंत्र कभी निष्फल नहीं जा सकता । इस मंत्र का चमत्कार हाथोंहाथ दिखता है और वह है शांति, माधुर्य, आनन्द और क्षमा। ये तो जीवन के आध्यात्मिक मूल्य हैं।
सकारात्मक सोचिए, आध्यात्मिक विजेता बनिये | हर आदमी इस मंत्र को अपना सकता है । मैं कहूँगा कि यदि आप ऐसा करते हैं तो अपने जीवन की नब्बे प्रतिशत बीमारियों, आक्रोश-क्रोध से मनो-मस्तिष्क के तनावों, चिंताओं, डिप्रेशन, अनिद्रा, जड़ता, निराशा जैसी ढेर सारी बीमारियों से निजात पा लेंगे। तुम्हें अभी न्यूरोफिजिशियन के पास जाने की जरूरत इसलिए है कि तुम अपनी चिंता, घुटन, डिप्रेशन के वैचारिक
७६
कैसे जिएँ मधुर जीवन
Jain Education International
For Personal & Private Use Only
www.jainelibrary.org