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सोच को बनाएँ सकारात्मक
मेरे प्रिय आत्मन्!
मनुष्य के मनो-मस्तिष्क में जब भी हम किन्हीं विचारों को उठते हुए देखते हैं तो कई मर्तबा तो उन विचारों को देखकर जीवन में सुकून मिला करता है और कई बार भीतर ऐसे विचार तरंगित होते हुए ज्ञात होते हैं जिन्हें देखकर व्यक्ति स्वयं आत्मग्लानि से भर उठता है। आखिर यह जो भी होता है, आदमी के भीतर छुपे हुए वैभव और दारिद्र्य का ही प्रतिबिम्ब है ।
मन के विचार आदमी के जीवन की सबसे बड़ी पूँजी हैं, वहीं ये विचार ही उसके जीवन का सबसे बड़ा दोष भी बन जाया करते हैं । विचार व्यवहार के प्रेरक हैं। शील और दुःशील दोनों के पीछे विचारों का प्रभाव होता है । जैसे जिसके विचार, वैसा ही उसका व्यवहार । हर विचार उसके भविष्य की आधारशिला बना करते हैं । अच्छे विचार, यानी अच्छा भविष्य; बुरे विचार यानि बुरा भविष्य ।
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कैसे जिएँ मधुर जीवन
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