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________________ दूसरी बात : जैसे के साथ तैसा वाली नीति नहीं अपनाऊँगा। मैं बड़प्पन रखूगा। अपना प्रजेंटेशन ऐसा रतूंगा कि मेरा व्यवहार दूसरों को आघात न पहुँचाए। तीसरी बात : अपने आपको हर हाल में सकारात्मक रदूंगा। 'पोजेटिवनेस' बुनियादी मंत्र है स्वभाव को दुरुस्त करने के लिए। अच्छी सोच और अच्छा नजरिया इस बात को मैं जन्मधूंटी की तरह पीए रहूँगा। चौथी बात : अनुभव बताता है कि गलत डालिए तो गलत बाहर आएगा, सही डालिए तो सही बाहर आएगा। तो चाहे टी.वी. हो या किताब अथवा सोहबत, अच्छे स्वभाव और अच्छे चरित्र के लिए इनका अच्छा होना जरूरी है। मैं अच्छाई के लिए सदा प्रयत्नशील रहूँगा। ___ पाँचवीं बात : शराब और नशे से परहेज रखूगा। शांत रहूँगा, सौम्य रहूँगा, विपरीत परिस्थितियों में भी अपना धैर्य नहीं खोऊँगा। ___ बाकी तो आपकी समझ और संकल्प ही आपको अच्छे स्वभाव, अच्छे नेचर का बनाने में आधारभूत बनेंगे। नमस्कार! अपनी ओर से इतना ही निवेदन है। स्वभाव सुधारें , सफलता पाएँ ६५ Jain Education International For Personal & Private Use Only www.jainelibrary.org
SR No.003896
Book TitleKaise Jiye Madhur Jivan
Original Sutra AuthorN/A
AuthorChandraprabhsagar
PublisherJityasha Foundation
Publication Year2009
Total Pages122
LanguageHindi
ClassificationBook_Devnagari
File Size23 MB
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