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________________ यह बात तो समझ में आती है, पर जब आज आप अपना कार्य स्वयं करने में समर्थ हैं तो कपड़े धोने के लिए माँ अथवा पत्नी पर क्यों निर्भर हैं? जब दिनभर के सब कार्य आप निबटा सकते हैं तो अपनी बनियान-लूंगी धोने में कैसी शर्म? अगर आप स्वावलम्बन में विश्वास रखेंगे, तो आपकी संतानें भी स्वावलम्बन का गुण अपनाकर आत्मनिर्भर होने की कला में दक्ष हो सकेंगी। छोटे-छोटे कार्यों को करने से कसरत भी हो गई और घर वालों को सहयोग भी मिल गया। यह हुआ स्वावलम्बी जीवन। हर कार्य अच्छा होता है। एक छोटे से कार्य को भी आप ऐसी तन्मयता और लगन के साथ करें कि यदि वहाँ से कोई देवता भी गुजर जाए तो वह आपके काम की तारीफ किए बिना न रह सके। उसके मुँह से निकले-'शाबास बेटा! क्या सफाई की है!' ___ हम जीने की कला सीखें, अपने जीवन को व्यवस्थित करने की कोशिश करें। प्रतिदिन अपने सभी कार्यों को योजनाबद्ध ढंग से सम्पादित करें। अपने हर दिन को एक सूटकेस बना लें। जैसे सूटकेस में अलग-अलग साइज के दस या बारह खाने होते हैं, वैसे ही अपने पूरे दिन में आपको क्या-क्या करना है, इसकी योजना बना लें। __ सूटकेस के एक खाने में पेंसिल, एक खाने में कॉपी, एक खाने में फाइल, एक खाने में पेन और डायरी रहती है। जैसे ढेर सारा सामान आप एक छोटे से सूटकेस में सजा लेते हैं, ऐसे ही आप पूरे दिन में क्या-क्या करना है, उसकी सूची बना लें और उस प्लानिंग के अनुसार अपने कार्य करें। एक काम अवश्य करें। सुबह जब आप उठते हैं तो फ्रेश होने के बाद, जब आप अखबार पढ़ने के लिए तत्पर होते हैं तो उसके पहले अपनी जेब में एक कॉपी व पेन रख लें और अखबार पढ़ने से पहले अपनी कॉपी में यह नोट कर लें कि आज मुझे क्या-क्या करना है? आज मुझे कहाँ-कहाँ जाना है? कौन से कार्य मुझे व्यवस्थित करें स्वयं को Jain Education International For Personal & Private Use Only www.jainelibrary.org
SR No.003896
Book TitleKaise Jiye Madhur Jivan
Original Sutra AuthorN/A
AuthorChandraprabhsagar
PublisherJityasha Foundation
Publication Year2009
Total Pages122
LanguageHindi
ClassificationBook_Devnagari
File Size23 MB
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