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आज के दिन सम्पादित करने हैं? मैं तो कहूँगा कि यदि आप को शेविंग भी करनी है तो वह भी नोट कर लीजिए। थोड़ी-सी देर में लिस्ट बनती चली जाएगी।
आप देखेंगे कि पन्द्रह मिनट में आपने सत्ताईस काम लिख डाले हैं। क्या एक दिन में सत्ताईस काम निबटाए जा सकते हैं? मैं कहता हूँ कि यदि व्यक्ति अपने दिन की शुरूआत सुव्यवस्थित तरीके से करता है तो वह सात दिन के कार्यों को एक दिन में निपटा सकता है। वहीं यदि कोई व्यक्ति बिना जागरूकता के जीता है तो वह एक दिन के कार्यों को सात दिन में भी पूरा नहीं कर पाता ।
मैंने ऐसे अनेक लोग देखे हैं जो कि दिनभर में किये जानेवाले कार्यों की प्लानिंग अलसुबह कर लेते हैं । वे लिस्ट बना लेते हैं। ऐसे लोग एक दिन में साठ-सत्तर कार्यों को निबटा लेते हैं। बिल्कुल एक सिस्टम चलता है। सुबह उठते ही उनके हाथ में एक लिस्ट होती है कि आज मुझे यह-यह कार्य करने हैं और शाम को जब वह घर लौटते हैं तो उनकी लिस्ट में लिखे लगभग सभी कार्य पूरे हो चुके होते हैं।
मैं कहना चाहूँगा कि वह हर व्यक्ति अपने सभी कार्यों को सफलतापूर्वक निपटा लेता है जो सिस्टेमेटिक तरीके से अपने कार्यों को सम्पादित करता है। जब भी कोई कार्य करें प्रेम से करें, उत्साह और तन्मयता से करें। आधे-अधूरे मन से, मरे और बोझिल मन से कोई भी कार्य न करें ।
विनोबा भावे, जब झाडू भी लगाते, तो बड़े प्रेम से लगाते थे। लोग उनसे पूछते कि आप क्या कर रहे हैं? वह जवाब देते, 'माला फेर रहा हूँ।' लोग चकित हो जाते और कहते 'आप तो बुहारी लगा रहे हैं और बोलते हैं माला फेर रहा हूँ ।' विनोबा कहते, 'जितनी बार बुहारी उठाता और चलाता हूँ, उतनी बार राम का नाम ले लेता हूँ । यही मेरी माला बन जाती है।' आप विनोबा की इस घटना से प्रेरणा ले सकते
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कैसे जिएँ मधुर जीवन
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