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________________ रहा है। वह अपने माँ-बाप से, अपने परिवार से आप ही के लिए तो अलग हुआ है। उसने अपने सारे सेक्रिफाइस आप ही के लिए तो किए हैं। अगर आप उसके साथ मधुरता से पेश नहीं आतीं तो वह सारी जिंदगी तनावग्रस्त रहेगा और शायद यह सोचता रहेगा कि ऐसी बीवी से, बीवी न होती तो ज्यादा अच्छा था । और वहीं पति के एक पराठा और माँगने पर पत्नी ऐसा कहे तो कैसा लगेगा, ‘बस एक मिनट में तैयार होता है । आप हाथ मत धोना । यह तवा चढ़ा और यह पराठा बना ।' पति सुनकर यह कहेगा, 'जल्दी नहीं है, धीरज से बना लो ।' खाने वाले को तो जितनी रोटी खानी है, वह तो खाएगा ही। महत्त्व तो इस बात का है कि आप किस भावना, किस प्रेम के साथ उसे खिला रहे हैं। खाने और खिलाने के बीच में रहने वाला वाणी का संतुलन ही व्यक्ति को दुःख या सुख देता है । भोजन न तो सुख देता है, न दुख । बीच में जो हम अपनी भाषा का उपयोग कर रहे हैं, वही सुख और दुःख का कारण बनती है। कहते हैं : बादशाह अकबर ने एक सपना देखा । सपना थोड़ा विचित्र किस्म का था। अतः उनकी जिज्ञासा हुई कि इस सपने का फल क्या होगा? उन्होंने स्वप्नवेत्ता को बुलवाया और अपना स्वप्न सुनाकर उसकास फल जानना चाहा। स्वप्नवेत्ता ने कुछ देर सोचा। फिर बोला, 'हुजूर, इस स्वप्न का तो यही अर्थ है कि आपके परिवार के सभी लोग एक-एक करके आपकी नज़रों के सामने मारे जाएँगे ।' यह सुनते ही बादशाह क्रोधित हो गए और उन्होंने स्वप्नवेत्ता को मौत की सज़ा सुना दी। बीरबल भी वहाँ उपस्थित था । उसे लगा कि ज्यातिषी बेकसूर फँस गया है। उन्होंने बीच-बचाव करते हुए कहा, 'जहाँपनाह, मैं कुछ कहना चाहता हूँ ।' 'बोलो बीरबल ! क्या बात है ?” बादशाह ने कहा । व्यवस्थित करें स्वयं को Jain Education International For Personal & Private Use Only ३५ www.jainelibrary.org
SR No.003896
Book TitleKaise Jiye Madhur Jivan
Original Sutra AuthorN/A
AuthorChandraprabhsagar
PublisherJityasha Foundation
Publication Year2009
Total Pages122
LanguageHindi
ClassificationBook_Devnagari
File Size23 MB
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