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________________ आज दिन में चार बरतन खड़क चुके हों, लेकिन अगर सुबह उठते ही आपने फिर प्रणाम कर दिया तो तो पहले दिन भाइयों में जो बर्तन खड़के थे, वे सब भुला दिए जाएंगे। मन में आएगा कि अब मैं इसको क्या कहूँ, यह तो मुझे धोक लगा रहा है। अब जो हो गया, सो हो गया। घर का वातावरण वापस अच्छा और सौम्य हो जाता है और उसको बनाने वाले आप स्वयं है। जीवन के स्वर्ग का निर्माता भी व्यक्ति स्वयं है। जितना आप अपने घर के वातावरण को सौम्य और भावपूरित बनाने पर ध्यान दें, उतना ही ध्यान दीजिए अपने स्वयं के स्वास्थ्य पर, और उतना ही ध्यान दीजिए घर की साफ-सफाई पर। गंदगी रोगों को बढ़ाती है। जिस घर में आप रहते हैं वह घर आपके लिए स्वर्ग जैसा बन जाना चाहिए। वातावरण के द्वारा, विचारों के द्वारा, व्यवहार के द्वारा, साफ-सफाई के द्वारा भी। अपने कमरे को ही केवल साफ न रखें। जिस रसोईघर में आप खाना बना रहे हैं उस रसोईघर का हर कोना भी उतना ही साफ-सुथरा रहना चाहिए। और तो और, जिस बाथरूम में आप स्नान करने जा रहे हैं, जिस टॉइलेट में आप निवृत्ति के लिए जा रहे हैं, वह टॉइलेट भी इतनी चमक वाला रहना चाहिए जितना कि आपकी डाइनिंग टेबल रहती हो या ड्राइंग-रूम रहता है। उतनी साफ-सुथरी आप अपनी लेट्रिन को रखिए। ____ हर चीज की साफ-सफाई पर ध्यान दीजिए। कहीं मकड़ी के जाले न बनें। जिस घर में मकड़ी के जाले बनते है उसमें आदमी नहीं रहते। उसमें तो मकड़ियाँ ही रहा करती है। कहीं जाले न हों। बिल्कुल साफ-सफाई, कहीं कचरे का कण न गिरा हुआ रहे, इतनी साफ-सफाई। झाडू-पौंछा लगा हुआ, लैट्रिन, बाथरूम तक बिल्कुल साफ-सुथरे। इतना ही नहीं, घर की सीढ़ियाँ तक और मुहल्ले में जहाँ आप का मकान बना हुआ है, वह सड़क भी इतनी साफ-सुथरी रहे कि हवा के साथ भी सड़क या पर्यावरण के कण आपके मकान में गिरें तो वे १८ कैसे जिएँ मधुर जीवन Jain Education International For Personal & Private Use Only www.jainelibrary.org
SR No.003896
Book TitleKaise Jiye Madhur Jivan
Original Sutra AuthorN/A
AuthorChandraprabhsagar
PublisherJityasha Foundation
Publication Year2009
Total Pages122
LanguageHindi
ClassificationBook_Devnagari
File Size23 MB
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