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दूषित परमाणु न हों, हमारे लिए रोग के कारण न हों ।
स्वस्थ आरोग्य के लिए स्वच्छता अनिवार्य पहलू है । आप घर को साफ-सुथरा रखिए। महज मारबल लगाने की जरूरत नहीं है । आप यह न सोचें कि मारबल लगाने से मेरा स्टेटस बनेगा, कोई स्तर कहलाएगा, ऐसा नहीं है। झोंपड़ी भी अगर साफ-सुथरी हो तो आँखों को सुहाती है और मकराने भी अगर मिट्टी से जमे हुए या कालिख पुते हों तो बुरे लगते हैं। पाँच लाख की कार में बैठकर आओ। पर यदि कार कीचड़ में लथपथ है तो उसे देखने की इच्छा नहीं होती है। यदि पच्चीस हजार रुपयों के स्कूटर पर बैठकर आओ, पर वह साफ-सुथरा है, तो वह वाहन सुहाएगा । आप जरा नहाकर ऐसे ही बाहर आ जाएँ तो लोग कहेंगे कि क्या बात है भाई ? तू भूत की तरह क्यों दिखाई दे रहा है? बाल वगैरह संवार कर आओ । हम इसलिए बाल संवारते हैं कि लोगों को अच्छे रूप में दिखाई दें।
घर में हमेशा साफ-सफाई रखो। ऐसा न हो कि केवल घर में ही साफ-सफाई रहे। अगर किसी धर्मशाला में हों तो उस कमरे में पहले साफ-सफाई करके रुको और जाते समय सफाई करके जाओ। लोग तो जवांई की तरह आते हैं, और जवांई की तरह जाते हैं । धर्मशालाओं को ऐसा समझते हैं जैसे कोई गौशाला है। अरे, तुम उसमें रहे किन्तु तुम्हारे बाद और भी लोग उसमें आकर रहेंगे। तुम अगर किसी धर्मशाला में जाओ, कहीं भी कभी भी जिंदगी में ध्यान रखना कि जाते ही उसे पहले देख लो। अगर वहाँ गंदगी है तो पहले उसमें सफाई करवाओ, फिर जाकर ठहरो और जब रवाना हों तो पंखों को बंद करके, लाइट बंद करके जाओ। उन्हें व्यर्थ में क्यों जलाया जाए? क्या आप व्यर्थ में अपना पेट्रोल जलाते हैं? क्या आप अपने घर में व्यर्थ ही पंखा चला हुआ रहने देते हैं ? नहीं। तो अगर कहीं भी जाओ तो वहाँ की मितव्ययिता, वहाँ की व्यवस्था में अपना सहयोग दो। जाने से पहले लेट्रिन में पानी गिराकर जाओ। अगर लगता है कि कहीं कोई
ऐसे जिएँ मधुर जीवन
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