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अनूकूल हो जाएँ तो आने वाली पीढ़ी के लिए भी यह संस्कार देते हुए जाएँ कि ऐसा करने से तुम्हारी भाग्य - दशाएँ बदल गई हैं। जिन लोगों ने भी अपने बूढ़े माइतों की सेवा की है वे भले ही गरीब रहे हों, पर माइतों की सेवा की पुण्यवानी आखिर उनके काम अवश्य आई और उनका घर फिर से नौनिहाल हो गया ।
आप अपने घर का वातावरण अच्छा बनाएँ, माता-पिता के चरण स्पर्श करें, भाई-भाई एक दूसरे को प्रणाम करें, देवरानी-जेठानी एक दूसरे का अभिवादन करें। घर में आप जितने भी हैं, जो भी हैं, बड़े-छोटे, यह मत सोचें कि बहू ने प्रणाम किया कि नहीं। सास जैसे ही अपने कमरे से बाहर आए, वह कहे, 'बहू नमस्कार'! फिर तो बहू को भी झुकना ही पड़ेगा। अगर छोटे लोग झुक जाएँ तो अच्छा, न झुके तो तुम कुछ ऐसे प्रयोग कर लो जिससे घर के छोटे सदस्य अपने आप झुक जाएँ। तुम अगर ससुर हो, बहू आई है तो कह दो 'नमस्कार, बेटा' । हाँ, अब बहू को मजबूर होना ही पड़ेगा कि वह ससुर के पाँवों की तरफ झुके ओर कहे, 'पापाजी, प्रणाम!' आपके मुँह से उसके लिए आशीर्वाद के शब्द अनायास ही निकलेंगे। आप पाएँगे कि ये जो छोटे-छोटे नुस्खे हैं, आपके पूरे घर के वातावरण को बदल चुके हैं।
मैं यह कहना चाहूँगा कि जिस घर में मैं जन्मा, उस घर का एक संस्कार था। पहला संस्कार यह कि सुबह पाँच बजे उठना । अगर छः महीने का बच्चा है, तो उसे भी पाँच बजे जगा दो। अगर वह सोना चाहता है या कोई आदमी बीमार है तो कोई बात नहीं एक बार पाँच बजे जगो, निवृत्ति करो, फिर वापस लेट जाओ । कोई दिक्कत नहीं । पर एक बार तो सुबह पाँच बजे जग ही जाओ। हिंदू धर्म में कहा जाता है कि ब्राह्म मुहूर्त में ही ब्रह्माजी सभी लोगों को अपनी-अपनी किस्मत बाँटने के लिए निकला करते हैं । जो जगे हुए रहते हैं उनकी हथेलियों में किस्मत आ जाती हैं और जो सोए रहते हैं, उनकी किस्मत वापस ब्रह्मा के साथ चली जाती है । सो यही मानकर हम सभी पाँच बजे जगा
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कैसे जिएँ मधुर जीवन
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