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________________ ही जाते हो तो वहाँ से लेकर क्या आओगे? आप अपने कार्य की शुरूआत ही नकारात्मक तरीके से कर रहे हैं। जीवन, जीवन लगता ही नहीं है, बस जी रहे हैं क्योंकि मरे नहीं हैं। लोग उठते हैं सुबह आठ-नौ बजे। वे कहते हैं कि भूत-प्रेत रात में जगा करते हैं, पर अब तो आदमी भी रात में देर से सोने का आदी हो गया है। आदमी दुकान अथवा फैक्ट्री से रात को दस बजे घर आता है, ग्यारह-बारह बजे खाना खाता है, गपशप करता है, रात को एक-दो बजे सोता है और सुबह नौ-दस बजे जगता है। यह तो गनीमत है कि स्कूल वालों की जो स्कूल सुबह लगती है, सो सुबह सात बजे उठना ही पड़ता है। अगर इस देश की सारी स्कूलें दोपहर की हो जाएँ तो यह सारा देश कुंभकर्ण की तरह चैन से सोया रहे। मैं तो शिकायत करूँगा उन स्कूलों से भी जो दस या बारह बजे शुरू होती है। तुम सुबह की स्कूल शुरू करो। इससे देश का भला ही होगा। ___ याद रखो, देर से सोना, देर तक सोये रहना दरिद्रता का कारण है। मैं तो अनुरोध करूँगा कि सूरज उगे उससे पहले तुम भी उठ जाओ। धरती पर फूल खिलें, उससे पहले तुम खिल जाओ। चिड़ियाँए चहचहाहट करें, उससे पहले तुम्हारी चहचहाहट शुरू हो जाए। जो लोग उगते हुए सूरज को देखते हैं, उनका पूरा दिन उगा हुआ रहता है। जो उगते हुए सूर्य को नहीं देख पाते वे हमेशा अस्त होते हुए सूरज को ही देखा करते हैं। जो लोग अस्त होते हुए सूरज को देखते हैं उनका जीवन हमेशा अस्ताचल की ओर जाता है। जो उदित होते हुए सूर्य को देखते हैं, उनका जीवन सदा सूर्योदय की तरह ही बना हुआ रहता है। आप सूर्योदय से पहले उठे, जल्दी उठे तो आगे कुछ काम कर सकेंगे। नौ-दस बजे उठोगे तो तुम्हारे लिए न परिवार का मतलब होगा और न बच्चों का। तुम अपने माँ-बाप की सेवा भी नहीं सँभाल पाओगे। तुम आठ-नौ बजे उठोगे और साढ़े नौ बजे दुकान चले जाओगे। रात को १२ कैसे जिएँ मधुर जीवन Jain Education International For Personal & Private Use Only www.jainelibrary.org
SR No.003896
Book TitleKaise Jiye Madhur Jivan
Original Sutra AuthorN/A
AuthorChandraprabhsagar
PublisherJityasha Foundation
Publication Year2009
Total Pages122
LanguageHindi
ClassificationBook_Devnagari
File Size23 MB
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