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प्रयोग करके देखो। आपका अभी तक क्रोध नहीं छूटा। चिड़चिड़ापन नहीं छूटा। मैं दावे के साथ कहूँगा कि अगर आप यह प्रयोग कर लें तो आपका गुस्सा काफूर हो जाएगा। सुबह आँख खुलते ही हम दो मिनट तक जी-भर कर अंतर्मन में प्रसन्नता को फैल जाने दें। तुम इतने प्रसन्न रहो कि यदि तुम पूरब दिशा की तरफ झाँक लो तो तुम्हारी मुस्कान को देखकर सूरज भी उग आये। तुम अगर साँझ के समय सोने जाओ तो तुम्हारी मुस्कान को देखकर बादलों से घिरी हुई रात में भी चाँद निकल आए और अगर किसी बगीचे में चले जाओ तो मुरझाए हुए फूल भी खिल जाएँ। तुम अपने हर दिन की शुरूआत इतनी प्रसन्नता के साथ करो, इतने स्वस्थ मन के साथ करो कि जीना, जीना हो जाए। जीना भी आनन्द बन जाए और मरना भी आनन्द ही बना रहे।
तब प्रार्थना अपने आप हो जाएगी, क्रोध अपने आप छूट जाएगा, निराशा और घुटन अपने आप चले जाएँगे। तनाव और चिन्ताएँ स्वतः विलीन हो जाएँगे। केवल एक ही काम कीजिए। सुबह उठते ही चित्त में प्रसन्नता का संचार। पहले प्रसन्नता का संचार हो, फिर भगवान को याद करें। मरियल मन से अगर भगवान को याद करोगे तो कुछ भी मिलने वाला नहीं है। यदि हृदय से प्रसन्न होकर भगवान को याद करोगे तो ऐसा लगेगा कि आपके साथी ही भगवान हैं। आपके भीतर, आपके साथ, उसी की छाया, उसी की रोशनी है। दो मिनट का प्रयोग है यह। सुबह-सुबह आँख खुलते ही मस्ती। दो मिनट बैठकर पूरे शरीर में ऐसी मस्ती विस्तृत हो, ऐसी मस्ती फैलाने की कोशिश हो, इस शरीर में कहीं अगर वेदना है तो उस वेदना तक भी मुस्कान पहुँच जाए। आप ताज्जुब करेंगे कि सुबह की मुस्कान का असर आपके पूरे दिन तक जादू जैसा रहता है।
जो लोग रोते-झींकते, गर्दन लटकाए हुए अपने दिन की शुरूआत करते हैं, उनका पूरा दिन व्यर्थ ही रोते-झींकते ही बीतता है। व्यक्ति ब्रेड लेने जाता है तो सोचता है कि यदि वह न मिली तो? आप ना-ना करते ऐसे जिएँ मधुर जीवन
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