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________________ चलें, मन के-पार १७८ काम करने का दावा करते हैं ? वह काम करेंगे, जो आप कहेंगे ? __ मनुष्य को लगता है कि मेरी पत्नी मुझसे खुश है, मेरा पति मुझसे खुश है, मगर अगले पल ही कैसा वातावरण बनने वाला है यह आप नहीं बता सकते । जब मैं घर आया था पली खुश थी । थोड़ी देर बाहर चला गया और वापस आया तो वैसी ही खुश मिलेगी, यह नहीं कहा जा सकता | आप अपनी पत्नी के बारे में यह भविष्यवाणी नहीं कर सकते कि अगला मिनट कैसा होगा और क्या होगा । कोई भी स्त्री अपने पति के बारे में ऐसी भविष्यवाणी नहीं कर सकती । जब यह नहीं हो सकता तो फिर कैसा राग, कैसी आसक्ति ? दूसरों को छोड़ो, आदमी स्वयं अपने बारे में भी यह दावा नहीं कर सकता कि मेरे आगामी दो मिनट कैसे बीतने वाले हैं । दो व्यक्ति एक दूसरे के गहरे मित्र थे, मगर न जाने क्या बात हुई कि आपस में एक दूसरे के खून के प्यासे हो गए। जो आदमी अपने पर भी विश्वास नहीं कर पाया है, वह भला दूसरों के बारे में क्या भविष्यवाणी करेगा । किस चीज पर इतना गुमान कर रहे हो ? यहाँ कोई भी चीज स्थिर नहीं है । हर चीज अनित्य है । जो पत्नी अभी खुश है, अगले पल नाराज हो सकती है । जिन्दगी में यहाँ हर क्षण सफलता और विफलता मिलती है । सफलता मिले तो गर्व मत करना और विफलता मिले तो दिमाग में तनाव मत लाना । व्यक्ति की सबसे बड़ी समाधि यही है कि जिन्दगी में जहाँ ये दोनों आएँ वहाँ अपने आपको सम बनाए रखना । रस्सी पर करतब करते दिखाते नट को आपने देखा होगा । हाथ में बांस लिए वह दोनों तरफ का संतुलन बनाए उस रस्सी पर चलता चला जाता है । दाएँ-बाएँ में से एक तरफ का भी संतुलन बिगड़ा नहीं कि वह धड़ाम से जमीन पर आ गिरता है । यही तो सहज समाधि है कि दोनों तरफ का संतुलन बनाए रखा जाए । सुख-दुःख, राग-विराग, शत्रु-मित्र, कैसी भी स्थिति हो, संतुलन जरूरी है । पक्षी उड़ रहा है । दोनों पंख सलामत हैं तो वह उड़ पाएगा । एक पंख भी यदि टूट जाए तो वह तत्काल नीचे आ गिरेगा । समाधि का सूत्र यही है जिन्दगी के हर पल को इतने संतुलन के साथ बिताया जाए कि कब आफत आए और कब खुशी का पल आए, पता ही न चल पाए । Jain Education International For Personal & Private Use Only www.jainelibrary.org
SR No.003892
Book TitleChale Man ke Par
Original Sutra AuthorN/A
AuthorChandraprabhsagar
PublisherJityasha Foundation
Publication Year1993
Total Pages258
LanguageHindi
ClassificationBook_Devnagari
File Size18 MB
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