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________________ समाधि के चरण : एकान्त, मौन और ध्यान १७७ जिसे समाधि कहा जाए, निर्वाण कहा जाए, उसे मैं महाजीवन कहता हूं । एक ऐसा जीवन, जो जन्म से पहले भी जीवन हो, जन्म के बाद भी जीवन हो और मृत्यु के बाद भी जीवन रह जाए । जो सदा था, है और रहेगा, उसी का नाम महाजीवन है । समाधि तो परिणाम है, मार्ग नहीं । उसका फल है जो उस समाधि में प्रवेश करना चाहते हैं । __मैंने इस मार्ग को गहराई से परखा तो उसके कुछ चरणों को पाया । मैंने अनुभव किया है कि यदि कोई व्यक्ति समाधि के मार्ग पर बढ़ना चाहता है, तो उसके भी कुछ चरण होते हैं । समाधि के मार्गों को मैंने तीन चरणों में जाना है । समाधि पाने के वे ही चरण महत्त्वपूर्ण सूत्र हैं । इन चरणों को अपने भीतर उतरने दो । ये तीन चरण हैं : एकान्त, मौन व ध्यान । यही तीन चरण हैं । इन चरणों के पार और कोई चरण नहीं है । सारे रास्ते इन्हीं तीन रास्तों में मिल जाते हैं । एकान्त का उपयोग है दूसरों को भूलने के लिए । मौन है वाणी का सम्बन्ध तोड़ने के लिए और ध्यान का उपयोग है अपने विचारों के विसर्जन के लिए । व्यक्ति जहां दूसरे को भूला वहीं एकान्त और जहां वाणी का सम्बन्ध टूट गया वहीं मौन और जहां भीतर से विचारों का विसर्जन हो वहीं ध्यान सध गया। 'मैं एक हूं'- इस अस्तित्व का बोध कराने के लिए एकान्त उपयोगी है । व्यक्ति कहीं कमरे में बैठ जाए, इसी का नाम एकान्त नहीं है । व्यक्ति को जब 'एक' का बोध हो जाए वहीं एकान्त होता है । जनता की भीड़ खतरनाक होती है । लेकिन इस भीड़ से बचने के अनेक साधन हैं जंगल हैं, हॉल हैं, कमरे हैं, मगर विचारों की भीड़ से बचने के लिए कोई गुफा नहीं है । आदमी गुफा में जाकर बैठ गया मगर विचारों की भीड़ वहां भी उसका पीछा नहीं छोड़ती । वहां आदमी शहर में ही बैठा है । __ भीड़ से मुक्ति पाने का एक मात्र उपाय एकान्त है । 'मैं एक हूं' जितने भी संगी-साथी हैं, सब कोई और हैं । अगर आप यह कहो कि ये मेरी पत्नी है, ये मेरा पति है । मगर क्या आप जिस पति पत्नी के लिए अपने आप को कुर्बान कर रहे हैं वह क्या आप कहेंगे, उसी अनुसार Jain Education International For Personal & Private Use Only www.jainelibrary.org
SR No.003892
Book TitleChale Man ke Par
Original Sutra AuthorN/A
AuthorChandraprabhsagar
PublisherJityasha Foundation
Publication Year1993
Total Pages258
LanguageHindi
ClassificationBook_Devnagari
File Size18 MB
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